आखिर मुलायम को क्‍यों हुआ बाबरी मस्‍जिद कांड में लोगों की जान लेने का अफसोस

बाबरी मस्‍जिदलखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के दूसरे चरण के मतदान के दौरान अपनी छोटी बहू अपर्णा यादव के लिए प्रचार करने मैदान में उतरे मुलायम सिंह यादव नब्‍बे के दशक में बाबरी मस्‍जिद बचाने में किए गए अपने खून खराबे को बार बार जनता को याद दिलाते रहे हैं, जिससे मु‍सलिम वोट उनसे जुड़ा रहे। वो ऐसे बयान देकर बार बार मुसलिम कार्ड खेलने वाले मुलायम सिंह यादव का ऐसा करना उनकी मजबूरी भी है। क्‍योकि प्रदेश के चुनाव में सपा के सामने अगर मुस्लिम वोटो को लपकने के लिए कोई पार्टी खड़ी है तो वह है बसपा की सुप्रीमो मायावती। मायावती अपनी कई सभाओं में दुहाई देती फि‍र रही हैं कि चाहे विपक्ष में बैठना पड़े वो कभी भी बहुमत न मिलने पर भाजपा से हाथ नहीं मिलाएंगी।

मुसलमान वोटरों को है रिझाना

वहीं राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा में मुसलिम वोटो को झटकने की होड़ लगी है। दोनों ही दलों ने थोक के भाव में मुस्‍लिम प्रत्‍याशियों को मैदान में उतारा है। दोनों ही दल बार बार अपने तरीके से यह दोहरा रहे हैं कि हम भाजपा के एजेंडे से इति‍फाक नहीं रखते और इस दल से दूरी बनाए हुए हैं। वहीं मायावती की कोशिश यह है कि चुनाव से पहले मुसलमानों के वोट लो, और इसके बाद बहुमत न मिला तो किसी के साथ भी हाथ मिलने का अधिकार उनका अपना निर्णय होगा।

 

 

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