फैक्ट्रियों से निकले कैमिकल मिले पानी को पीकर मरी दो दर्जन भैंसे, आखिर जिम्मेदार कौन?

Report – Ashish singh

लखनऊ। राजधानी के एक दर्जन गाँव के 50 हज़ार से अधिक लोग घुट-घुट कर जीने को मजबूर हैं, क्योंकि उत्तरधौना स्थित केमिकल फैक्ट्री से निकलने वाला धुंआ और केमिकल युक्त पानी सब कुछ तबाह कर रहा है! फैक्ट्री का केमिकल वेस्ट 12 किलोमीटर घूमकर बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे गोमती नदी में मिल रहा है! प्रदूषित जल से जलीय जीव ही नहीं बल्कि जानवर और आम आदमी तक प्रभावित हैं।

लखनऊ

अब तक अनगिनत जानवर इस जहर का शिकार बन चुके हैं! केमिकल फैक्ट्री के धुंए से लोगों को दिखना बंद हो गया है साथ ही त्वचा सम्बन्धी सैकड़ों बीमारियों ने घर कर लिया है! इतना सब होने के बाद भी ना तो कोई अधिकारी सुध ले रहा है और ना ही सरकार इसपर ध्यान दे रही है।

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी डॉक्टर राम कारण ने बताया कि यह मामला संज्ञान में नही है। आपके माध्यम से जानकारी हुई है अधिकारियों को मामले पर लगाया जाएगा और केमिकल फैक्ट्री से लोगों की सेहत में कोई नुकसान पहुँच रहा है तो फैक्ट्री बन्द होगी और कठोर कार्रवाई भी होगी।

स्वरुप केमिकल फैक्ट्री से निकलने वाला जहर उत्तरधौना गांव से शुरू होता है जो शाहपुर सेमरा,ठाकुरद्वारा, लक्ष्मणपूरवा, चमरही, सरांय शेख, नन्दपुर, टेरा, बबुरिहा, लौलाई, हाशेमऊ, छोटी देवरिया और बड़ी देवरिया गांवों को अपनी जद में लेते हुए इंदिरा फाल और गोमती नदी को जहरीला बना रहा है।

आपको बता दें कि डूडा कॉलोनी भी इस जहर से प्रभावित है। यह फैक्ट्री पूरे इलाके में बसी हजारों की आबादी के लिए नासूर बन चुकी है। उत्तरधौना में भूजल का रंग पीला पड़ गया है जबकि धुएं के कारण दर्जनों लोगों को मोतियाबिंद हो गया है। यहां के लोगों का आरोप है कि अफसरों और फैक्ट्री मालिकों की मिलीभगत ने हजारों-हज़ार जिंदगी का सौदा कर दिया है।

प्रतिदिन हजारों घरों की आबादी प्रदूषण का घूंट पी रही है! गांव के बीच में बने स्कूल के पास खड़े होकर कुछ देर खड़े होते ही सांस फूलने लगती है और बदबू से सिर चकराने लगता है। हैरानी की बात यह है कि गांव में केमिकल को एनओसी देने वाले अधिकारियों को अब तक यह भयावह स्थिति क्यों नजर नहीं आ रही है! क्या किसी महामारी का इन्तजार किया जा रहा है या फिर इन लोगों के जान की कोई कीमत ही नहीं है। प्रदूषण विभाग भी मौन स्वीकृति देते हुए कालचक्र को देख रहा है।

उत्तरधौना गांव और बीबीडी के बीच में चल रही स्वरूप केमिकल फैक्ट्री में कीटनाशक बनाए जाते हैं! फैक्ट्री की चिमनी दिन-रात धुआं उगल रही है! धुएं में हैवी कार्बन पार्टिकल्स के साथ घुले कीटनाशक बदबू और प्रदूषण फैला रहे हैं। इन सबसे यहां पर बिन बालाये ही हज़ारों बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले रही है!

ठाकुरद्वारा से निकलने वाली आदि गंगा नदी इस केमिकल फैक्ट्री की भेंट चढ़ गयी! स्थानीय लोगों ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पहले यहां से आदि गंगा बहती थी जिसमें भक्त आकर स्नान करके मंदिर दर्शन करते थे लेकिन फैक्ट्री का निकलने वाला वेस्ट इसमें मिलाया जाने लगा, दूषित पानी इस नदी में छोड़ा जाने लगा जिससे यह पानी किसी योग्य नहीं बचा और आज यह नाला के रूप में बदल गयी।

गांव के लोगों का आरोप है कि केमिकल फैक्ट्री का जहरीला पानी जमीन में जाने के कारण भूजल प्रदूषित होकर पीला पड़ गया है! इस कारण गांव के सभी हैंडपंप पीला पानी दे रहे हैं और उससे कीटनाशक वाली बदबू भी आती है। ऐसे में लोगों को पानी के लिए भी भटकना पड़ रहा है!

स्वरुप केमिकल फैक्ट्री से निकलने वाले केमिकल और धुएँ से भले ही हज़ारों जिंदगी दांव पर लगी हों लेकिन इससे संचालकों को कोई फर्क नहीं पड़ता! मालिकों ने फैक्ट्री के बाहर की गतिविधिओं  पर नजर रखने के लिए चारों और कारिंदे लगा रखे हैं।

जो पल-पल की खबर अपने आकाओं तक पहुंचाते हैं। मौके पर जब जानकारी करने का प्रयास किया गया तो कारिंदों ने भारी विरोध किया। इतना ही नहीं वह फैक्ट्री के प्रबंध तंत्र से बात भी ना करवा सके। यानी के फैक्ट्री में क्या और कैसे होता है इसकी जानकारी देने वाला भी कोई नहीं है। अब ऐसे में सवाल तो उठता ही है कि आखिर लोगों के जीवन से खुलेआम खिलवाड़ क्यों हों रहा है!

 

 

 

 

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