नई दिल्ली। गृह मंत्रालय की सिफारिश को ठुकराते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लोगों की फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बिहार सरकार की सिफारिश पर प्रणब मुखर्जी से दया याचिका को खारिज करने की अपील की थी, लेकिन राष्ट्रपति ने दरकिनार करते हुए अपना फैसला सुना दिया।
प्रणब मुखर्जी के आगे गृह मंत्रालय बेबस
बता दें कि, 2001 में बिहार की सेशन कोर्ट ने कृष्णा मोची, नन्हे लाल मोची, वीर कुंवर पासवान और धर्मेंद्र सिंह उर्फ थारू सिंह को मौत की सज़ा सुनाई थी। इन पर 1992 में 34 लोगों की हत्या का आरोप लगा था।
जिसके बाद आरोपियों की अपील खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने भी 2 के मुकाबले 1 वोट से सजा को बरकरार रखा था, जिसके बाद आरोपियों ने दया याचिका को राष्ट्रपति के कसामने दाखिल किया था।
बिहार सरकार की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 8 अगस्त 2016 को राष्ट्रपति के सामने आरोपियों की दया याचिका खारिज करने की अपील की थी।