देश की 33 फीसद आबादी रेड जोन तो इतने फीसद आबादी ऑरेंज जोन में…

नई दिल्ली। देश में वायरस के कहर को देखते हुए लॉकडाउन – 3 लागू हो गया है । लेकिन यह लॉकडाउन – 3 रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के हिसाब से होगा।

 

देश के 130 जिले जो रेड जोन में आते हैं वहां लगभग 33 प्रतिशत (2011 की जनगणना के अनुसार) आबादी रहती है। वहीं 284 जिले ऑरेंज जोन में हैं जहां 43 प्रतिशत आबादी रहती है और 319 जिले ग्रीन जोन में हैं। यहां 44 प्रतिशत की आबादी रहती है। महाराष्ट्र की 17 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश की 16 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल की 12 प्रतिशत आबादी रेड जोन में रहती है। संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार ग्रीन जोन ऐसे क्षेत्र हैं जहां पिछले 21 दिनों से एक भी नया मामला सामने नहीं आया है। पहले यह समयसीमा 28 दिन थी।  रेड जोन को सक्रिय कोविड-19 मामलों की कुल संख्या, पुष्टि किए गए मामलों की दोहरीकरण दर, परीक्षण और निगरानी प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए परिभाषित किया गया है। नए वर्गीकरण का मतलब यह है कि कुछ जिले जहां 14 दिनों से एक भी मामला सामना नहीं आया है, उन्हें अभी भी रेड जोन की सूची में ही रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि यह विचार मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि रोकने के लिए है। उन्होंने कहा, 'पहले हमारे पास इन वर्गीकरणों को लेकर केवल दो मानदंड थे, कुल मामले और दोहरीकरण दर। लेकिन जैसे ही मामले बढ़े, ठीक होने की दर में बदलाव आया, नमूने लेने की आवश्यकता बढ़ी हमने मानदंडों में बदलाव किया।' उन्होंने कहा, 'मानदंड अधिक व्यापक, बहु-तथ्यात्मक होने चाहिए ताकि हस्तक्षेप के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की जाए। जिससे भविष्य में किसी भी जोन में कोई समस्या न आए। इस तरह से हमने रेड और ऑरेंज जोन की व्याख्या की है। ऐसे मामलों को कम करना जरूरी है जो कल किसी जिले के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।' Download Amar Ujala App for Breaking News in Hindi & Live Updates. https://www.amarujala.com/channels/downloads?tm_source=text_share

महाराष्ट्र की 17 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश की 16 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल की 12 प्रतिशत आबादी रेड जोन में रहती है। संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार ग्रीन जोन ऐसे क्षेत्र हैं जहां पिछले 21 दिनों से एक भी नया मामला सामने नहीं आया है। पहले यह समयसीमा 28 दिन थी।
रेड जोन को सक्रिय कोविड-19 मामलों की कुल संख्या, पुष्टि किए गए मामलों की दोहरीकरण दर, परीक्षण और निगरानी प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए परिभाषित किया गया है। नए वर्गीकरण का मतलब यह है कि कुछ जिले जहां 14 दिनों से एक भी मामला सामना नहीं आया है, उन्हें अभी भी रेड जोन की सूची में ही रखा गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि यह विचार मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि रोकने के लिए है। उन्होंने कहा, ‘पहले हमारे पास इन वर्गीकरणों को लेकर केवल दो मानदंड थे, कुल मामले और दोहरीकरण दर। लेकिन जैसे ही मामले बढ़े, ठीक होने की दर में बदलाव आया, नमूने लेने की आवश्यकता बढ़ी हमने मानदंडों में बदलाव किया।’

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उन्होंने कहा, ‘मानदंड अधिक व्यापक, बहु-तथ्यात्मक होने चाहिए ताकि हस्तक्षेप के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की जाए। जिससे भविष्य में किसी भी जोन में कोई समस्या न आए। इस तरह से हमने रेड और ऑरेंज जोन की व्याख्या की है। ऐसे मामलों को कम करना जरूरी है जो कल किसी जिले के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।’

 

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