दलितों के मुददे पर राजनाथ के जवाब से कांग्रेस चारो खाने चित्त
दिल्ली। लोकसभा में दलितों पर अत्याचार मुद्दे पर गुरुवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षियों को आड़े हाथों लिया। विपक्षी खास तौर से कांग्रेस के सांसद उस समय असहज हो गये जब राजनाथ सिंह ने दलित मुद्दे पर उनके सवालों का तीखा जवाब दिया। राजनाथ ने कहा कि अगर पिछले 55 वर्ष में दलितों के लिए ठोस कदम उठाए गये होते तो आज घटित हो रहीं घटनाएं न होतीं। राजनाथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति में दलितों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। उनका भी गौरवशाली इतिहास रहा है।
दलितों के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है कि भाजपा सरकार के दौरान दलितों पर उत्पीड़न बढ़े हैं जबकि दो वर्ष जब से भाजपा सरकार बनी है को छोड़कर देश पर कांग्रेस का शासन रहा और उस दौरान दलितों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास की चिंता की गई होती तब आज ऐसी घटनाएं नहीं होती। मंत्री ने कहा कि गौरक्षा या किसी अन्य विषय के नाम पर दलितों या किसी का भी उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी और वह राज्य सरकारों से भी इस बारे में आग्रह करते हैं।
दलित मुद्दे पर गृह मंत्री ने संसद में रखा सरकार का पक्ष
दलितों पर अत्याचार के विषय पर लोकसभा में नियम 193 के दौरान चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के 70 वर्ष गुजर गए और इसके बाद भी हमें दलितों के उत्पीड़न पर चर्चा करना मन में टीस और पीड़ा उत्पन्न करता है। वह भी ऐसे देश में जहां बसुवैध कुटुम्बकम का दर्शन हो, वहां आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पीछे रह गए लोगों का उत्पीड़न अत्यंत पीड़ादायक है। उन्होंने कहा कि दलितों का उत्पीड़न एक विकृत मानसिकता का परिचायक है और हमें इस विकृत मानसिकता को खत्म करना है। देश के विकास के लिए जातिवाद एवं सम्प्रदायवाद को खत्म करने की जरूरत है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश कई अनेक राज्यों में दलितों के उत्पीड़न की घटनाएं सामने आई हैं। वह इनसे किसी राजनीतिक दल को नहीं जोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब यह भ्रम पैदा किया जा रहा है कि भाजपा सरकार के आने पर दलितों के उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। यह गलत है। आप कोई भी बात सरकार के आंकड़ों या किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के आंकड़ों के आधार पर कह सकते हैं। सरकार के आंकड़े सामने हैं। आपके (कांग्रेस) पास कोई अंतरराष्ट्रीय आंकड़े हैं तो पेश करें। प्रमाण दीजिए।’
दलित मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री ने कहा ‘आपने 55 वर्षों तक देश पर राज किया। आप जो इतने वर्षो में नहीं कर सके, वह हमने दो वर्षो में कर दिखाया।’ उन्होंने कहा कि अगर इतने वर्षों में दलितों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास की चिंता की गई होती तब आज ऐसी घटनाएं नहीं होती। मंत्री के जवाब के दौरान कांग्रेस एवं वामदलों ने सदन से वॉकआउट किया। राजनाथ ने कहा कि हमारी सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम को मजबूत बनाया है और इसमें कई कार्यो को अपराध की श्रेणी में रखा है।
उन्होंने कहा कि साल 2013 में दलितों के उत्पीड़न के 39,336 मामले सामने आए जबकि 2014 में 40,300 मामले आए और 2015 में दलितों के उत्पीड़न के 38,564 मामले दर्ज किए गए। गृह मंत्री ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि दलितों के उत्पीड़न के मामले रूक गए हैं। कोई ऐसा दावा नहीं कर सकता। दलितों पर उत्पीड़न एक विकृत मानसिकता है और जरूरत इस बात को सोचने की है कि हम इस विकृत मानसिकता को कैसे समाप्त करें।
दलित मुद्दे पर उन्होंने कहा कि गुजरात के उना की घटना निंदनीय है, घृणित है और राज्य सरकार ने इस पर कार्रवाई की है। एफआईआर दर्ज करने के साथ कुछ पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। कर्नाटक में (कांग्रेस शासन) भी मामले हुए है, वहां की सरकार भी ऐसी ही कार्रवाई कर रही है। राजनाथ ने कहा कि गौरक्षा के नाम पर गलत कार्य करने वालों पर प्रधानमंत्री के बयान के बाद गृह मंत्रालय ने राज्यों को परामर्श जारी किया है और कार्रवाई करने को कहा है।
उन्होंने कहा कि दलितों के उत्पीड़न से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए नयी विशेष अदालतें गठित की जा रही है। राजनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी जिक्र किया और कहा कि संघ के संस्थापक डा. केशव हेडगेवार ने देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की दिशा में काम किया था। उन्होंने कहा कि संघ से जुड़े संगठन सेवा भारती और वनवासी कल्याण आश्रम इस दिशा में काफी काम करते हैं।