दमा रोगिओं के लिए उज्जायी प्राणायाम दिलाएगी दमा रोग से छुटकारा
उज्जायी प्राणायाम प्राणिक चेतना को ऊपर की ओर जाने की दिशा देकर जीवन को सफलता की ओर बढ़ाता है। इस प्राणायाम को अतीन्द्रिय श्वसन के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह साधक को इंद्रियों से दूर सूक्ष्म मानसिक अवस्थाओं में ले जाता है।
उज्जायी शब्द उत उपसर्ग तथा जय शब्द के संयोग से बना है। उत उपसर्ग का अर्थ है ऊपर की ओर उठना या फैलाना तथा जय का अर्थ विजय या सफलता होता है।
प्राणायाम करने के सही तरीके
- साधक किसी आसन या कम्बल पर पद्मासन में बैठ जाएं।
- हथेलियों को घुटनों पर रखकर तर्जनी के अग्रभाग को अंगूठे से मिलाएं।
- यह ज्ञान मुद्रा है, इस दौरान दूसरी अंगुलियों को ढीला छोड़ दीजिए।
- चेहरे पर से तनाव की रेखाएं हटाकर।
- आंखों को बिल्कुल ढीला बंद करें।
- इसी दौरान दो मिनट के लिए मौन होकर मन को अंतमुर्खी कर लें।
- खेचरी मुद्रा लगाने के लिए जीभ के अग्रभाग को मुंह में पीछे की ओर इस तरह मोड़ें कि जीभ की निचली सतह ऊपरी तालू को स्पर्श करे।
- अब तक गहरी श्वास बाहर निकाल कर पूरक करें (नाक से खींचते हुए अन्दर की ओर ले जाते हैं)।
- पूरक करने के लिए नासाद्वार से सावधानी पूर्वक इतनी हवा भरें कि दोनों फेफड़े पूरी तरह भर जाएं।
- भरने के बाद रेचक करें (खींचे हुए साँस को विधिपूर्वक बाहर निकालें)।