
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा आज शुरू हो गई, जो बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारत-रूस संबंधों को नई मजबूती देने का प्रतीक बनी हुई है। पालम एयरपोर्ट पर उतरते ही पीएम नरेंद्र मोदी ने पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया, जहां दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को गले लगाकर पुरानी दोस्ती का इजहार किया।
इसके बाद पुतिन पीएम आवास पहुंचे, जहां द्विपक्षीय वार्ता और रात्रिभोज का आयोजन हुआ। यह यात्रा केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और रणनीतिक सहयोग के नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है।
यह पुतिन की चार साल बाद भारत यात्रा है, जो यूक्रेन संकट के बीच आ रही है। दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण समझौते होने की उम्मीद है। पुतिन के साथ रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव और रोजोबोरॉनेक्सपोर्ट, रोसनेफ्ट व गजप्रॉम नेफ्ट जैसे प्रमुख व्यवसायिक प्रतिनिधि शामिल हैं।
पुतिन का विस्तृत शेड्यूल
पुतिन शाम 6:30 बजे पालम एयर फोर्स स्टेशन पर पहुंचे, जहां सीमित अधिकारियों के साथ फोटो सेशन हुआ। रात में पीएम आवास पर द्विपक्षीय वार्ता और निजी रात्रिभोज के साथ पहला दिन समाप्त हुआ।
5 दिसंबर का कार्यक्रम और भी व्यस्त रहेगा। सुबह 11 बजे राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत समारोह होगा, उसके बाद 11:30 बजे राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी जाएगी। दोपहर 11:50 बजे हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी के साथ 23वें शिखर सम्मेलन की मुख्य बैठक होगी, जो 1:50 बजे संयुक्त प्रेस स्टेटमेंट के साथ समाप्त होगी।
शाम 3:40 बजे भारत-रूस बिजनेस फोरम को संबोधित किया जाएगा, जो भारत मंडपम में आयोजित होगा। रात 7 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ राष्ट्रपति भवन में मुलाकात के बाद रात 9 बजे पुतिन भारत से रवाना हो जाएंगे।
शिखर सम्मेलन में क्या चर्चा?
वार्ताओं का मुख्य फोकस रक्षा आधुनिकीकरण, ऊर्जा सहयोग, व्यापार विस्तार और क्षेत्रीय सुरक्षा पर होगा। रूस Su-57 पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की आपूर्ति का प्रस्ताव दे रहा है, साथ ही S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त इकाइयां। S-500 प्लेटफॉर्म पर भी बातचीत संभव है। ऊर्जा क्षेत्र में लंबी अवधि के समझौते, सिविल न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स (जैसे कुदनकुलम यूनिट्स 7-8) और स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMR) पर सहयोग होगा।
व्यापार को $191 बिलियन से $500 बिलियन (2030 तक) दोगुना करने के लिए यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट पर चर्चा होगी।
यूक्रेन संकट पर भारत संवाद और कूटनीति से समाधान का पक्षधर रहेगा। रूसी प्रतिनिधिमंडल में व्यवसायिक दिग्गजों की मौजूदगी से व्यापारिक समझौते मजबूत होंगे। यह यात्रा पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत-रूस साझेदारी की मजबूती दिखाएगी।




