
रिपोर्ट – राकेश पंत
कोटद्वार: अगर इंसान चाहे तो कुछ भी मुश्किल नहीं वह कोयले को भी हीरा बनाने की हिम्मत रखता है बस जरूरत है तो दृढ़ इच्छाशक्ति और हिम्मत की।
ऐसा ही कुछ कर डाला उन नवयुवकों ने जिन्होंने हिम्मत जुटाकर अपने गांव की धरती को हराभरा कर डाला| 40 सालों से बंजर पड़े खेतों में अपना सुनहरा भविष्य देखा । मजबूत इरादों के साथ अपने हाथों में उठाया सब्बल और कुदाल। लगे खोदने उन बंजर खेतों को जो कभी कांटों से बंजर हो गए थे।
पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर ब्लॉक के ईसोटी गांव के युवकों ने अपने शहरों के चकाचौंध रास नहीं आई और लौट आये अपनी माटी की ओर। बंजर खेतों में अपना सुनहरा भविष्य देखने लगे| जिन खेतों को गांव के लोगों ने इसलिए छोड़ दिया था क्योंकि अब इन खेतों में कुछ नहीं हो सकता।
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आर्थिक रूप से कमजोर और संसाधनों की कमी के बावजूद भी इन युवकों के मनोबल को कम नहीं कर पाए इन युवकों ने बंजर खेतों को ही अपने रोजगार का साधन बनाने का दृढ़ संकल्प कर लिया और उन खेतों पर खुद ही खुदाई कर उन खेतों पर अपने सपनों के बीजों को बो कर अंकुरित होने का इंतजार करने लगे|
समय के साथ आज बीजों से पौध निकल आई भले ही उन पौधों को बड़ा होने में कुछ समय लगेगा छोटे-छोटे नन्हे पौधे ने उन युवकों के उत्साह में दुगनी वृद्धि कर दी है| आज वह युवक दुगनी शक्ति के साथ काम करने लगे हैं। उनके इस कठिन परिश्रम और दृढ़ इच्छा के चर्चे अब होने लगे हैं। जिसका परिणाम धीरे-धीरे दिखने में लगा है। और युवाओं को इन खेतों से अब कुछ आस दिखने लगी है।
वहीं इन युवाओं का कहना है कि अगर उत्तराखंड के पहाड़ों से पलायन को रोकना है तो लोगों को गांव की ओर रुख करना पड़ेगा। इस माटी में बहुत कुछ उगाया जा सकता है बस जरूरत है तो इच्छाशक्ति और हिम्मत की