चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने बीते दिनों एलओसी और जम्मू कश्मीर में चल रही गतिविधियों को लेकर अपना एक बयान जारी किया। अपने इस बयान में सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि गलवान घाटी और पूर्वी लद्दाख के दूसरे इलाकों में हुई झड़प के बाद चीनी तैनाती में खास बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि इस झड़प के बाद चीन को भारत की ताकत का अंदाजा हो गया होगा।

सीडीएस बिपिन रावत ने अपने बयान में आगे कहा कि चीनी सैनिकों को अभी और प्रशिक्षण की जरूरत है। वह अभी भारतीय सैनिकों से मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं हैं। एलएसी पर चीनी गतिविधियों को लेकर सीडीएस रावत ने कहा कि, “भारत के साथ लगती सीमा पर चीनी तैनाती में बदलाव आया है। खासकर मई और जून 2020 में गलवान और अन्य क्षेत्रों में हुई घटनाओं के बाद। इसके बाद, उन्होंने महसूस किया कि उन्हें बेहतर ट्रेनिंग और बेहतर तैयारी करने की जरूरत है।”

इसी के साथ सीडीएस रावत ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि, “चीन के सैनिक मुख्य रूप से सिविलियन स्ट्रीट से आते हैं। वह कुछ समय के लिए तैनात किए जाते हैं। उन्हें इस तरह के इलाकों में लड़ने और इस तरह के इलाके में काम करने का ज्यादा अनुभव नहीं है। इसके लिए विशेष ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है जिसमें हमारे सैनिक बहुत ही कुशल हैं। क्योंकि हमने पहाड़ों में युद्ध की कई ट्रेनिंग ली है। हम पहाड़ों में ऑपरेट करते हैं और लगातार अपनी मौजूदगी रखते हैं। वहीं चीनी सैनिकों के साथ ऐसा नहीं है। हमें सतर्क रहकर चीनी सेना की हर गतिविधि पर नजर रखनी होगी। एलएसी पर भी अपनी मौजूदगी को बरकरार रखना होगा।”