क्या ईरान करना चाह रहा भारत से दुश्मनी? पाकिस्तान के लिए खोल रहा चाबहार बंदरगाह …

अमेरिकी प्रतिबंधों से परेशान ईरान भारत की मुश्किलें बढ़ा सकता है. ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान का दौरा किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जरीफ ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को पाकिस्तान में चीन द्वारा विकसित किए जा रहे ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने का प्रस्ताव दिया है.

नई दिल्ली ने ईरान के चाबहार बंदरगाह में भारी-भरकम निवेश किया है. इस बंदरगाह का भारत के लिए खास रणनीतिक महत्व है क्योंकि इससे भारत की पाकिस्तान से गुजरे बिना अफगानिस्तान और पश्चिम एशिया तक पहुंच बन जाएगी. पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के नियंत्रण में देने के बाद से चाबहार बंदरगाह का रणनीतिक महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है.

चाबहार बंदरगाह को पाकिस्तान के लिए खोलने के ईरान के प्रस्ताव को भारत के ईरान से तेल आयात पूरी तरह से बंद करने के फैसले की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है.

ग्वादर बंदरगाह से जोड़े जाने पर पाकिस्तान और चीन का चाबहार बंदरगाह पर प्रभाव बढ़ जाएगा. इस संभावित नुकसान ने भारत की चिंता बढ़ा दी है.

चाबहार बंदरगाह भारत का चीन-पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का जवाब था. ग्वादर बंदरगाह चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नीति का हिस्सा है जिसके तहत वह भारत के आस-पास रणनीतिक पूंजियों का विकास करने में लगा हुआ है.

अगर चाबहार बंदरगाह चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के आखिरी पड़ाव ग्वादर बंदरगाह से जुड़ जाता है तो इसके चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट ऐंड रोड (BRI) से भी जुड़ जाने की आशंका है.

नई दिल्ली ने अभी तक चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव से भी खुद को अलग रखा है क्योंकि सीपीईसी योजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरती है.

14 मई को ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात करने नई दिल्ली पहुंचे थे ताकि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरान से भारत के तेल आयात करने का रास्ता निकाला जा सके. हालांकि, नई दिल्ली ने किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं जताई.

 

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ईरान इराक और सऊदी अरब के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश है. भारत ने 2018-19 वित्तीय वर्ष में 23.6 मिलियन टन तेल ईरान से आयात किया था.

4 नवंबर 2018 को यूएस ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध थोप दिए थे जिसके बाद से भारत ईरान से तेल आयात में लगातार कटौती करनी शुरू कर दी थी. ये प्रतिबंध अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को रद्द करने के 6 महीने बाद लागू किए गए थे.

ईरान पर आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिका ने भारत समेत 6 देशों को ईरान से तेल आयात को लेकर 2 मई तक की छूट दी थी लेकिन अप्रैल महीने में ईरान पर चौतरफा दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने इस छूट को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया.

हालांकि, यूएस ने पश्चिमी एशिया और अफगानिस्तान में चाबहार बंदरगाह की पहुंच की अहमियत को समझते हुए इसे प्रतिबंधों के दायरे से बाहर रखा है.

मई 2016 में भारत, अफगानिस्तान और ईरान ने त्रिपक्षीय चाबहार समझौता किया था. वर्तमान में इस्लामाबाद अफगानिस्तान से आने वाले माल को सिर्फ वाघा बॉर्डर (भारत-पाकिस्तान की सीमा पर पाकिस्तान का चेक पॉइंट) तक ले जाने की अनुमति देता है, अटारी तक नहीं (भारत-पाकिस्तान सीमा पर भारतीय पक्ष का चेक पॉइंट).

अफगानिस्तान से आने वाले ट्रकों को वाघा में माल उतारना पड़ता है और उसके बाद दूसरे वाहनों में माल चढ़ाना पड़ता है जिसके बाद वे वाघा और भारत पहुंचते हैं. अफगानी ट्रक अपने देश खाली हाथ पहुंचते हैं क्योंकि उन्हें भारत से सामान ले जाने की अनुमति नहीं होती है.

इस्लामाबाद नई दिल्ली और काबुल की पाकिस्तान से होते हुए भारत-अफगानिस्तान के बीच बाधामुक्त व्यापार की इजाजत देने के अनुरोध को खारिज करता रहा है.

23 मई को भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने जानकारी दी थी कि भारत ने आधिकारिक तौर पर ईरान से तेल आयात करना बंद कर दिया है. बता दें कि भारत चीन के बाद ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और अपनी तेल जरूरतों का 13 फीसदी हिस्सा ईरान से आयात के जरिए ही पूरी करता है.

 

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