
नई दिल्ली : बिहार के पूर्व गर्वनर रामनाथ कोविंद देश के अगले राष्ट्रपति बनेंगे. कोविंद ने यूपीए उम्मीदवार मीरा कुमार को दोगुने वोटों से हराकर जीत हासिल की है. रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. कोविंद का स्वयंसेवक से राष्ट्रपति बनने का सफर बहुत ही शानदार है. जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े ये खास पहलू.
रामनाथ कोविंद को कुल वोट 10,98903 में से 702044 मिले हैं जबकि मीरा कुमार को 367314 वोट मिले.
ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई स्वयंसेवक देश का राष्ट्रपति बनेगा.
कोविंद के राजनीतिक सफर में कई मोड़ आए. कोविंद ने अपने जीवन में कई तरह के रोल निभाए हैं. इन्होंने एक समाज सेवी, एक वकील और एक राज्यसभा सांसद के तौर पर काम किया.
कोविंद का जन्म उस वक्त हुआ जब हमारा देश गुलाम था. उनका जन्म 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था. उस समय दलित होना किसी अपराध से कम न था.
भले ही कोविंद का बचपन गरीबी में गुजरा. लेकिन मुश्किलों को पार करते हुए वह उस शिखर पर पहुंच गए हैं, जहाँ से वह देश को बुलंदियों तक पहुंचाने का अपना सपना पूरा कर सकेंगे.
बता दें बचपन से ही कोविंद ने अथक मेहनत की है. गरीबी की वजह से बचपन में रामनाथ कोविंद 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे और फिर पैदल ही वापस घर लौटते थे.
गरीबी को पछाड़ते हुए कोविंद आगे चलकर नामी वकील हुए. बिहार के राज्यपाल भी बने, लेकिन जायदाद के नाम पर उनके पास आज भी कुछ नहीं है. एक घर था वो भी गांववालों को दान कर दिया.
कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में जन्मे कोविंद ने सर्वोच्च न्यायालय में वकालत से की शुरुआत की थी.
वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने थे. जनता पार्टी की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर कार्य किया. इसके बाद भाजपा पार्टी के संपर्क में आए.
कोविंद ने दिल्ली में रहकर IAS की परीक्षा तीसरी बार में पास की. वर्ष 1994 से 2006 के बीच दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं. दो बार भाजपा अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राष्ट्रीय प्रवक्ता, उत्तर प्रदेश के महामंत्री रह चुके हैं.