रिपोर्ट: दुनिया के 42 फीसदी कोयला बिजली केंद्र घाटे में, जानें वजह

नई दिल्ली। भारत समेत दुनियाभर में कोयले से चलनेवाले बिजली केंद्र में 42 फीसदी घाटे में चल रहे हैं। वित्तीय थिंक-टैंक कार्बन ट्रैकर ने अपनी तरह के पहले अध्ययन में शुक्रवार को यह जानकारी दी। यह नए कोयला उत्पादन की जरूरत को चुनौती देता है और दिखाता है कि 2015 के पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के मुताबिक, कोयला बिजली संयंत्रों को बंद करना ही मुनासिब होगा।

कोयला बिजली केंद्र

इस अध्ययन में दुनियाभर के कुल 6,685 कोयला संयंत्रों का वित्तीय स्थिति और उसकी मुनाफाप्रदता को समझने के लिए विश्लेषण किया गया।

कार्बन ट्रैकर्स ने पाया कि दुनिया की 42 फीसदी कोयल संयंत्र पहले ही घाटे में हैं, क्योंकि ईधन की कीमत काफी अधिक है और 2040 तक इनमें से 72 फीसदी घाटे में होंगी, क्योंकि हवा प्रदूषण के नियमन से इनकी लागत और बढ़ेगी।

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संयुक्त राष्ट्र की अंतरसरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल ने कहा है कि दुनिया की करीब 59 फीसदी कोयला बिजली संयंत्रों को साल 2030 तक बंद कर देनी चाहिए, ताकि ग्लोबल वार्मिग को 1.5 डिग्री तक सीमित किया जा सके और विभिन्न देशों को इसे चरणों में समाप्त करना चाहिए।

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हालांकि, पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा से चलनेवाले संयंत्रों की कीमतें लगातार गिर रही है और भविष्य में किसी प्रकार नियमन कोयला संयंत्रों को और अधिक घाटे में पहुंचा देगा।

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