ओडिशा के चिल्का झील घूमने के लिए है बेहद खूबसूरत,जानिए पूरी खबर…

उड़ीसा।चिल्का झील उड़ीसा के सबसे खास स्थानों में से एक माना जाता है। यहां घूमने के लिए चिल्का झील मुख्य केंद्र बिन्दु माना गया है। यहाँ पर दूर-दूर से लोग छुट्टियाँ मनाने के लिए आते है। यह झील एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झीलों में से एक है। इसकी लम्बाई 70 किलोमीटर और चौड़ाई 15 किलोमीटर है। पर्यटकों के लिए खास जगह मानी जाती है।

 

 

चिल्का झील देश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील में से एक झील है। यह झील लगभग 1100 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। इस झील में कई द्वीप है और यह जगह खासकर जलीय वनस्पतियों, जीव जन्तुओ और कई तरह के पक्षियों व पक्षी बिहार के आकर्षक नजारों के लिए जानी-जाती है। इस झील के पास सूर्योदय और सूर्यास्त का सामने गुजरना आपको एक अलग ही अनुभव देता है। इस जगह पर आप बोटिंग और मछली पकड़ने जैसे काम भी कर सकते है। इस झील में मछलियां काफी मात्र में है। चिल्का झील प्रकृति की एक अद्भुद देन है, जो आपको एक बहुत ही सुखद अनुभव देती है। अगर आपको प्रकृति से प्रेम है, तो चिल्का झील की यात्रा आपकी जिन्दगी के यादगार पल बन सकती है।

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चिल्का झील एक ऐसी जगह है -जहाँ हर कोई अपनी जिन्दगी में एक बार जरुर घूमना चाहता है। यहाँ पर पर्यटक अपने परिवार, बच्चे और जोड़े से घूमने के लिए आ सकते हैं। वैसे तो चिल्का फैमिली द्वारा पसंद की जाती है। आपको बता दें कि वैसे तो में घूमने के 14 पर्यटक स्थल हैं, जो आप यहाँ आने के बाद घूम सकते हैं। लेकिन हमने यहाँ चिल्का के 5 खास जगहों के बारे में बताया है जहां आपको जरुर घूमना चाहिए।

चिल्का झील को चिल्का झील पक्षी अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। यह झील जल के निकायों का बड़ा स्त्रोत है। चिल्का झील पक्षी अभयारण्य स्थान प्रवासी और निवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग सामना है। यह जगह पक्षिओं से प्यार करने वाले पर्यटकों के लिए बहुत ही प्रिय जगह है। चिल्का झील अभयारण्य 1100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और इस जगह पर पक्षियों का झुंड घर की तरह रहता है। नाशपाती के आकार का यह अभयारण्य ओडिशा राज्य में पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला स्थान है।

चिल्का झील को पक्षियों का समूह सर्दियों के मौसम में रुकने के लिए चुनते हैं। ईरान, साइबेरिया और मध्य एशिया के पक्षी इस झील पर आते हैं। इस झील में बड़ी आबादी में ग्रेलेग गीज़, पर्पल मूरहेन, फ्लेमिंगो, ब्राह्मणी पतंग, स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, बार-हेडेड गोज़, ओपन-बिल्ड स्टॉर्क, पिंटेल, किंग फिशर, एग्रेट, एवोकेट, गल, टर्न, बगुले और सफेद-बेल वाले समुद्री ईगल पाए जाते हैं।

डॉल्फिन प्वाइंट सतपाड़ा-डॉल्फिन प्वाइंट सतपाड़ा पुरी जिले में एक खास जगह है। सतपाड़ा शब्द जिसमे सत का अर्थ है “सात” और पाडा का अर्थ है “गाँव”, इसलिए इस शब्द का अर्थ हुआ सात गाँवों का समूह। डॉल्फिन प्वाइंट, पुरी से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह पर पर्यटक डॉल्फिन जैसे इरावाडी डॉल्फिन, कॉमन डॉल्फिन, बॉटल नोज़ डॉल्फिन और व्हाइट नोज़्ड डॉल्फ़िन को देख सकते हैं।

मंगलाजोडी -नाम का गाँव मछली पकड़ने जैसी चीज़ों की वजह से चिल्का क्षेत्र के प्रसिद्ध है। पूर्वी तट यह खूबसूरत गाँव विलुप्त और दुर्लभ पक्षियों के साथ-साथ विभिन्न पक्षी प्रजातियों का निवास स्थान है। मंगलाजोडी नाम जुड़वाँ मंदिरों के नाम पर रखा गया है। इसके पास 250 साल पुराना मंदिर रघुनाथ मंदिर धार्मिक जगह है।

कैसे जाएं-अगर आप ट्रेन से चिल्का झील जा रहे हैं। तो बता दें कि इसके निकटतम रेलवे स्टेशन रंभा और बालुगाँव हैं। दोनों ही स्टेशन से आपको चिल्का के लिए बस और ऑटो रिक्शा बहुत आसानी से मिल जायेंगे

रोड़ से चिल्का-अगर आप रोड के माध्यम से चिल्का झील की यात्रा करने जा रहे हैं तो आपको नेशनल हाईवे 5 से होकर जाना होता। इसके अलावा आपको पुरी से चिल्का लेक जाने के लिए कई बस और टैक्सी मिल जाएँगी।

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