
देश में सुस्त पड़ी GDP के कारण कारोबार भी मंदी के दौर से गुजर रही हैं. देखा जाये तो केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यकाल ने अपना अकड़ा जारी कर दिया हैं. वहीं देश कि आर्थिक विकास कि दर घटकर 5 फीसदी रह चुकी हैं.
वहीं करीब 7 साल में भारत के विकास दर की यह सबसे सुस्त रफ्तार है. अहम बात यह है कि जीडीपी के मामले में हम बांग्लादेश और नेपाल से पीछे हैं. लेकिन चीन हमारी तुलना में आगे है.
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आइए जानते इस देश का क्या हाल –
– बांग्लादेश की जीडीपी 7.90 फीसदी रही.
– नेपाल की जीडीपी 7.10 फीसदी पर है.
– चीन की जीडीपी ग्रोथ 6.2 फीसदी रही जो उसके 27 साल के इतिहास में सबसे कम है.
– हंगरी और मलयेशिया की जीडीपी क्रमश : 4.90 फीसदी है.
– यूक्रेन और पोलैंड की जीडीपी क्रमश: 4.60 फीसदी और 4.50 फीसदी है.
– अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ 2.30 फीसदी रही है.
– UAE की जीडीपी 2.20 फीसदी और साउथ कोरिया की जीडीपी 2.10 फीसदी पर है.
-ऑस्ट्रेलिया और ईरान की जीडीपी क्रमश: 1.80 फीसदी है.
– सऊदी अरब और स्विट्जरलैंड की जीडीपी 1.70 फीसदी है.
– फ्रांस की जीडीपी 1.40 फीसदी की दर से बढ़ रही है.
– जापान और ब्रिटेन की जीडीपी क्रमश: 1.20 फीसदी की दर से ग्रो कर रही है.
वहीं हर देश के जीडीपी को तय करने का पैमाना अलग होता है. भारत में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी सीएसओ उत्पादन और सेवाओं के मूल्यांकन के लिए एक आधार वर्ष यानी बेस ईयर तय करता है.
क्या है जीडीपी और आप कैसे होते हैं प्रभावित –
दरअसल, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे अहम पैमाना होता है. जीडीपी किसी खास अवधि के दौरान देश के भीतर वस्तु और सेवाओं के प्रोडक्शन की कुल कीमत है. भारत में जीडीपी की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही आधार पर होती है.
अगर जीडीपी का आंकड़ा बढ़ता है तो इसका मतलब यह होता है कि देश की विकास की रफ्तार ट्रैक पर आगे बढ़ रही है. वहीं अगर ये आंकड़े लगातार कम होते हैं तो देश के लिए खतरे की घंटी होती है.
लेकिन जीडीपी कम होने की वजह से लोगों की औसत आय कम हो जाती है और लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं. इसके अलावा नई नौकरियां पैदा होने की रफ्तार भी सुस्त पड़ जाती है. यहां बता दें कि सरकारी संस्था CSO ये आंकड़े जारी करती है.