आखिर कब थमेगी गरियाबंद जिले मे कृषि भूमि पर चल रहे अवैधानिक प्लाटिंग का कारोबार ?

*अमर सदाना

इन दिनों गरियाबंद जिला मुख्यालय व आसपास ग्रामीण क्षेत्रों मे भू – माफियाओं द्वारा कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग का कारोबार बदस्तूर जारी है। कार्यवाही नहीं किए जाने के चलते इन भू माफियाओं का इस पर एक तरफा राज चल रहा है । शासन – प्रशासन से ये लोग इतने बेखौफ हो गए हैं किआदिवासी ज़मीनों का भी शोषण करने से नहीं चूकते, मीडिया के माध्यम से इन सभी मामलों को प्रशासन के संज्ञान में लगातार पूर्व मे भी लाया जाता रहा है।

आसपास ग्रामीण क्षेत्र के इलाके जिनमे मजरकटा, भिलाई,डोंगरीगांव,रावणभाटा सहित नगर पालिका क्षेत्र में भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। इन भू – माफियाओं के चंगु – मंगु आस – पास के ग्रामीण इलाकों में घूम – घूमकर इन जमीनों के बारे मे पता करते रहते हैं, उसके बाद ये अपने आकाओं को इसकी सूचना देते हैं जिसके बाद लेनदेन कि बातें तय किया जाता है और फिर शुरू होता है विभागीय कागजों के दुरुस्ती कि अहम भूमिका,जिसके लिए ये भू – माफिया दिनभर तहसील कार्यालय मे ही डटे मिलेंगे और आखिरकार उस ज़मीनों के सारे प्राथमिक दस्तावेज तैयार भी कर दिए जाते हैं ।

अब शुरू होता है खेत खलिहानों को जेसीबी के द्वारा मैदान बनाकर उसमे डीपीसी कराकर उसे प्लाटिंग करने का और फिर ग्राहक तलाशने का सिलसिला। और फिर शासन प्रशासन के सारे नियमों को दरकिनार रखकर खेत खलिहान को आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री की जाती है। विडंबना यह है कि शहर के आसपास इलाकों में कहीं ना कहीं प्लाटिंग कर कॉलोनी का नक्शा खींचा जाता है । और कुछ जगहों पर कृषि भूमि को इसी तरह अंजाम दिया गया है। जिसके सहित आसपास के इलाकों में भी इन दिनों अवैध प्लाटिंग का कारोबार जोर – शोर से फल फूल रहा है ।

रीयल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ( रेरा ) को दरकिनार कर प्लाट बेचने का काम चल रहा है जिसके चलते प्लाट खरीदने वाले लोग भविष्य मे परेशानियों मे पड़ सकते हैं । शहर व आसपास के इलाकों कि बिक्री आवासीय प्लाट के रूप में बेधड़क हो रही है। इन खेतों को प्लाटिंग करने वाले लोग पहले एक आधी सड़क तैयार करते हैं जिसके बाद वे अपने तरीके से प्लाटिंग करते हैं ।

आपको बता दें कि कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्सन करना पड़ता है एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार ( कालोनाइजर ) के तहत् सभी फॉमेल्टी पूरी करने के बाद उसकी खरीदी बिक्री होनी चाहिए लेकिन बिना पंजीयन के ही ना केवल आवासीय कालोनी डेवलप हो रहे हैं बल्कि खेत खलिहान का आवास के रूप मे धड़ल्ले से अवैधानिक प्लाटिंग भी हो रही है । वहीं शहर में कई कालोनियां है। जिनके अवैध के मामले विभागों में अब भी वर्तमान मै लंबित चल रहे हैं ।

छत्तीसगढ़ रीयल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ( रेरा ) के नियमानुसार किसी भी बिल्डर को प्लाटिंग करने से पहले रेरा मे रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। इसके अलावा प्लाट बेचने से पहले बिल्डर उक्त स्थान पर जन समस्याओं से जुड़ी चीजें जिसमे पानी निकासी के लिए नाली,पानी, सड़क,बिजली व सीवर खेल मैदान आदि कि सुविधा उपलब्ध कराएगा ।मगर जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों मे अवैध प्लाटिंग का कारोबार चल रहा है, यहां कई एकड़ कृषि भूमि खेतों कि अवैध प्लाटिंग कर खरीददारों को बेचा जा रहा है जहां प्लाट खरीदने वालों को अंधेरे में रखकर प्लाटिंग की जा रही है ।

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