
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 16 जनवरी 2024 को सीआरपीएफ और कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रिसॉल्यूट एक्शन) कैंपों पर हुए हमले की जांच में खुलासा किया है कि 20 नक्सलियों ने इस हमले को अंजाम दिया था।
ये नक्सली गोला-बारूद, पोर्टेबल स्कैनर, और छर्रे हटाने के उपकरणों जैसे परिष्कृत संसाधनों से लैस थे। यह हमला माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गोरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के बटालियन नंबर 1 द्वारा किया गया था, जिसे पहले कुख्यात नक्सली कमांडर हिडमा के नेतृत्व में संचालित माना जाता था।
घटना का विवरण:
एनआईए की जांच के अनुसार, नक्सलियों ने हमले से पहले एक डमी सीआरपीएफ कैंप बनाकर प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने हमले की योजना बनाने के लिए कई बैठकें कीं और खुफिया जानकारी एकत्र की। हमले में शामिल 17 आरोपियों के खिलाफ एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें 16 फरार हैं और एक आरोपी, सोडी बमन उर्फ देवल, को गिरफ्तार किया गया है। फरार आरोपियों में दो सेंट्रल कमेटी मेंबर (सीसीएम), दो स्पेशल जोनल/स्टेट कमेटी मेंबर, और अन्य वरिष्ठ नक्सली कैडर शामिल हैं। इनके खिलाफ आईपीसी, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
नक्सलियों की रणनीति और उपकरण:
नक्सलियों के पास पोर्टेबल स्कैनर और छर्रे हटाने के उपकरण होने का खुलासा उनकी तकनीकी तैयारी को दर्शाता है। ये उपकरण संभवतः सुरक्षा बलों की आवाजाही को ट्रैक करने और आईईडी विस्फोटों के बाद घायलों को तुरंत उपचार देने के लिए इस्तेमाल किए गए। इसके अलावा, नक्सलियों ने भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथियारों का इस्तेमाल किया, जो उनकी सैन्य रणनीति और प्रशिक्षण की गंभीरता को दिखाता है। बीजापुर का यह इलाका घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा है, जो नक्सलियों के लिए छिपने और हमला करने के लिए आदर्श स्थान है।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई:
इस हमले के जवाब में, सीआरपीएफ, कोबरा, छत्तीसगढ़ पुलिस की डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी), और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने संयुक्त अभियान चलाए। 2025 में नक्सल विरोधी अभियानों में तेजी आई है, जिसमें जनवरी 2024 से शुरू हुए ऑपरेशन कागर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस ऑपरेशन में ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया। मई 2025 में कर्रेगुट्टालु हिल्स (छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा) पर हुए एक बड़े अभियान में 31 नक्सलियों को मार गिराया गया, जो नक्सलवाद के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन माना जा रहा है।
वर्तमान स्थिति:
एनआईए की जांच से पता चला है कि नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र, जिसे ‘रेड कॉरिडोर’ कहा जाता है, 2000 के दशक में 180 जिलों से सिकुड़कर 2025 तक केवल 12 जिलों तक सीमित हो गया है। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, और तेलंगाना जैसे राज्यों में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन कागर और अन्य अभियानों ने उनकी ताकत को कमजोर किया है।
2015 से 2025 के बीच 10,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, और माओवादी हिंसा में 81% की कमी आई है।