आपके शिशु की याददाश्त पर पड़ेगा इस गलती का खौफनाक असर

आजकल बच्चों को संभालना बहुत ही कठिन हो गया है। या यूं कहूं कि आजके बच्चें भी कुछ कम नहीं है। इसलिए आजकल बच्चों के माता-पिता उनके पास मोबाइल में गाने बजाकर उन्हें पकड़ा देते हैं या फिर टीवी चलाकर उसके आगे बैठा देते हैं। लेकिन ऐसा करने से पेरेंट्स को तो आराम मिल जाता है लेकिन उनके बच्चों के लिए यह नुकसान का सबब मनता है। शोर बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है। आइए आज आपको बताते हैं कि इस तरह के लाइफस्टाइल से बच्चों में किन तरह की समस्या हो सकती है।

याददाश्त

नई चीजे सीखने में होती है परेशानी

अगर बच्चा ज्यादा समय टीवी या मोबाइल पर बिताता है तो उसके आगे के बढ़ने की क्षमता कम हो जाती है। वह आगे कुछ सीख नहीं पाता है। क्योंकि पूरा दिन वह बस मोबाइल में ही लगा रहता है। इससे उसका मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास भी रुक जाता है। शोर के कारण कई चीजें आंखों के सामने होते हुए भी समझ नहीं आती है। क्योंकि अगर आपको कुछ समझना हो तो आपको शांति के वातावरण की जरूरत होती है।

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एकाग्रता

बच्चे को शोर से इंटेलिजेंसी में कमी आ जाती है। शोर के कारण उनका ध्यान एक स्थान पर नहीं लग पाता है। बच्चों को अगर कुछ सीखाना हो तो उन्हें शांति के माहौल की आवश्यकता पड़ती है। अगर आसपास शांति का वातावरण है तो से कुछ भी सीखने में कभी कोई परेशानी नहीं होगी। शोर के कारण बच्चें में एकाग्रता की कमी आ जाती है।

याददाश्त

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याददाश्त की कमी

अगर आपका बच्चा दिनभर टीवी और मोबाइल में खेलता है तो इसके शोर से बच्चे की याददाश्त पर भी गहरा असर पड़ता है। एक तो आजकल सभी के मोबाइल नम्बर तक तो मोबाइल में सेव होते हैं जिस कारण बच्चें की याददाश्त पर असर पड़ता है। अगर बच्चें की बचपन से ही याददाश्त कमजोर हो तो युवा तक पहुंचते पहुंचते उनकी याददाश्त काफी कमजोर हो जाती है। अगर आपको अपने बच्चें को बेहतर और सुनहरा भविष्य चाहिए तो आपको अपने बच्चें को मोबाइल और टीवी से जितना हो दूर रखें।

 

 

 

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