सियासत चमकाने के चक्कर में योगी के मंत्री ने छीनी दलित की मुस्कान

लखनऊ। बदलते समय के साथ-साथ राजनीति ने जोरदार पल्टी मारी है। आलम ये है कि जाति-समुदाय को साधने के लिए सभी राजनीतिक दल के नेताओं ने अपने चमकते जूते को धूमिल करने ले लिए गांवों की धूल फांकने तक को तैयार दिख रहे हैं। अब ये राजनीतिक बदलाव परिवर्तन लाने के लिए है या महज वोट बैंक की राजनीति के लिए। हो कुछ भी लेकिन इससे नुकसान आम जनता का ही होना है।

प्रभारी मंत्री जय प्रताप सिंह

अब इसी कड़ी में अब दलितों के घर भोजन करने को लेकर भी राजनीति अपने चरम पर पहुंच चुकी है। जोकि आज से पहले कभी नही हुआ। सूबे की सरकार सुल्तानपुर में ग्राम स्वराज अभियान के तहत दलितों को रिझाने की कोशिश में कामयाब होती नहीं दिख रही है।

दरअसल, शनिवार को यहां प्रभारी मंत्री रात्रि प्रवास के लिए गांव पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने गांव में प्रवास नहीं किया। प्रोग्राम के तहत दलित के घर उनका भोजन था। लेकिन उन्होंने दलित के घर भोजन भी किया और खाना उन्होंने बाहर से मंगवाया।

बता दें कि शनिवार को प्रभारी मंत्री जय प्रताप सिंह का अखंडनगर थाना क्षेत्र के बीरपुर प्रतापपुर में ग्राम स्वराज अभियान के तहत चौपाल और रात्रि विश्राम का प्रोग्राम था।

गांव के प्राथमिक विद्यालय में लगी चौपाल में मंत्री जय प्रताप ने गांव की जनता से उनकी समस्याएं पूछनी शुरू की तो जनता ने एक-एक करके अपनी तमाम समस्याएं सांझा की।

गांव में रुकना भी नहीं समझा मुनासिब

मंत्री के साथ पहुंचे जिले के तमाम विभागों के अधिकारियों ने जब अपने द्वारा कराए गए विकास कार्यों का लेखा-जोखा बताना शुरू किया तो ग्रामीणों ने इसे झूठ बताते हुए हंगामा कर दिया।

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ग्रामीणों को उम्मीद थी कि मंत्री जी गांव के स्कूल में ही रात्रि विश्राम करेंगे, जिसके लिए तैयारी भी की गई थी लेकिन भोजन के बाद मंत्री जी सुबह आने की बात कहकर निकल गए।

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चौपाल के बाद जय प्रताप ने दलित रामदयाल के घर के दरवाजे पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और स्थानीय विधायक राजेश गौतम के साथ भोजन किया। अब भले ही इसे दलित के घर भोजन कहा जा रहा हो, लेकिन ऐसी सूचना है कि खाना दूसरी जगह से बन कर आया था।

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