
हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड का टांगा गांव शायद ही कभी अब फिर से आबाद हो सके। साल 2020 में आई महज एक घंटे की बारिश ने ऐसी तबाही मचाई कि पूरे गांव का भूगोल ही बदल दिया। ग्रामीणों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस गांव में आसमानी आफत इस कदर टूटेगी कि 11 लोगों की जान ही ले लेगी।

19 जुलाई की देर रात पिथौरागढ़ जिले के टांगा गांव में बारिश शुरू हुई तो ग्रामीण सहम गए। गांव के ठीक नीचे बहने वाली मोतीगाड़ नदी का पानी पिछले कई दशकों से जमीन को काट-काटकर निगल रहा था, लेकिन आसमान से बरसे पानी ने गांव का नक्शा ही बदल दिया।

इस गांव का ऐसा कोई हिस्सा नहीं था, जिसे आसमानी आफत ने जख्मी न किया हो। आसमान से बरसी आफत ने इस गांव की जमीन को 200 से अधिक स्थानों पर चीर दिया था। जहां- जहां धरती फटी, वहां से 72 घंटे बाद भी झरने बह रहे थे।

आप को बता दें कि बंगापानी तहसील के टांगा गांव में चार अलग-अलग तोक हैं। मुख्य गांव टांगा में लगभग 20 परिवार रहते थे। मोतीगाड़ नदी के पानी से भूकटाव के कारण कई मकानों को खतरा था। लेकिन 19 जुलाई को गांव के वह मकान जमींदोज हो गए जो सबसे सुरक्षित समझे जाते थे।

गावं के ही माधो सिंह का पूरा परिवार खत्म हो गया था। आपदा के दो दिन बाद माधो सिंह समेत परिवार के 7 लोगों के शव निकाले गए थे। यह मंजर देख गावं के बचे हुए लोगों में भी कोहराम मचा हुआ था।

मिली जानकारी के अनुसार, गणेश सिंह के दो बच्चे दिव्यांश और लतिका भी मृतकों में शामिल थे। बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए उन्होंने मदकोट में किराए पर कमरा लिया था और वहीं पर दोनों बच्चे अपने माता-पिता के साथ गावं टांगा आ गए थे। वे कोरोना से तो बचे, लेकिन मौत से नहीं बच पाए।