
मथुरा और वृंदावन में यमुना नदी के उफान ने भारी तबाही मचाई है। भारी बारिश और हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए 3.29 लाख क्यूसेक पानी के कारण यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 166 मीटर से 56 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है। इससे मथुरा के 13 गांव टापू बन गए हैं, और खादर क्षेत्र की कॉलोनियां 4 फीट तक पानी में डूब गई हैं।

बांके बिहारी मंदिर के पास कालीदह क्षेत्र में परिक्रमा मार्ग पर 2.5 फीट पानी भर गया है, जिससे श्रद्धालुओं को नावों के सहारे मंदिर पहुंचना पड़ रहा है। वहीं, अयोध्या नगर में जलभराव के कारण एक मकान ढह गया, जिसमें रहने वाला परिवार बाल-बाल बचा।
बांके बिहारी मंदिर मार्ग पर बाढ़ का कहर
वृंदावन में यमुना का पानी बांके बिहारी मंदिर के पास कालीदह तक पहुंच गया है। पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो गया है, जिसके चलते एकादशी परिक्रमा रद्द कर दी गई है। कालीदह, श्याम नगर, मोहिनी नगर, चीर घाट, केशव नगर, ब्रह्मऋषि वाटिका और गणेश टीला जैसे क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति काट दी गई है। श्रद्धालु घुटनों तक पानी में चलकर बांके बिहारी मंदिर दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। कुछ भक्तों ने कहा कि “यमुना मइया का प्रकोप है, लेकिन मुरलीवाले की कृपा से सब सुरक्षित हैं।” स्थानीय प्रशासन ने नावों और आपदा प्रबंधन टीमों को तैनात किया है, लेकिन भारी भीड़ के कारण व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है।
अयोध्या नगर में मकान ढहा
मथुरा के अयोध्या नगर में जलभराव के कारण एक पुराना मकान ढह गया। यह घटना उस समय हुई जब परिवार के सदस्य घर में मौजूद थे, लेकिन सौभाग्यवश कोई हताहत नहीं हुआ। स्थानीय लोगों ने बताया कि बारिश और बाढ़ के कारण कई मकानों की नींव कमजोर हो गई है, जिससे ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। प्रशासन ने प्रभावित परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और राहत सामग्री उपलब्ध कराई।
प्रभावित क्षेत्र और राहत कार्य
मथुरा के खादर क्षेत्र में 20,000 से अधिक मकानों में पानी घुसने का खतरा है। राधा वल्लभ, कात्यायनी मंदिर, और राधा रमण मंदिर के आसपास की गलियां पानी से भर गई हैं। विश्राम घाट, केशी घाट, और प्रयाग घाट जैसे धार्मिक स्थल भी बाढ़ की चपेट में हैं, जहां पानी 3-4 फीट तक भर गया है। जिला मजिस्ट्रेट चंद्रकांत सिंह और एसएसपी श्लोक कुमार लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। 25 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां 2000 से अधिक लोगों को ठहराया गया है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, और पीएसी की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं, और 2610 नावें तैनात की गई हैं।
बाढ़ का व्यापक प्रभाव
मथुरा और वृंदावन में बाढ़ ने 13 गांवों को टापू बना दिया है, और 39,314 हेक्टेयर कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा है। बाबूगढ़, ढिमरी गुलालपुर, सपेरा नगला, चमन गढ़ी, और ओवा बाहटा जैसे गांव पूरी तरह पानी से घिर गए हैं। स्कूलों को गुरुवार तक बंद कर दिया गया है, और पर्यटकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
प्रशासन की तैयारियां
जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित फसलों का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है, और मुआवजे की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। डीएम चंद्रकांत सिंह ने कहा, “हमने 2023 की बाढ़ से सबक लिया है, जब यमुना का जलस्तर 167.35 मीटर तक पहुंच गया था। इस बार राहत शिविर, भोजन, और पेयजल की पूरी व्यवस्था की गई है।” गोकुल बैराज से 1.77 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जो आगरा की ओर बढ़ रहा है, जिससे वहां भी बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
यह बाढ़ मथुरा-वृंदावन के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व वाले क्षेत्रों के लिए गंभीर चुनौती बन रही है। प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर स्थिति से निपटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यमुना का बढ़ता जलस्तर चिंता का विषय बना हुआ है।