बुआ-बबुआ के कार्ड हो गये फेल… भाजपा के इस दांव से यूपी की सियासत में आ गया भूचाल

रिपोर्ट- अनुभव शुक्ला

लखनऊ। यूपी में 2019 की सियासी बिसात बिछ चुकी है। सभी पार्टियां अपने अपने समीकरण साधने में जुट गई हैं। हालांकि इस तैयारी में बीजेपी सबसे आगे नजर आ रही है। बीजेपी ने दलितों के बाद अब ओबीसी वोटबैंक को साधने में जुट गई है। लखनऊ में लगातार पिछ्ड़ा समाज से जुड़े जातियों के सम्मेलन पार्टी कर रही है।

बुआ-बबुआ

वहीं यादव वोटबैंक पर भी सेँधमारी की बीजेपी की तैयारी है। हालांकि, समाजवादी पार्टी का कहना है कि उपचुनावों में जनता ने बीजेपी को सबक सिखाया और अब वो उसके बहकावे में नहीं आने वाली है। वहीं कांग्रेस कह रही है कि लगातार बढ़ती महंगाई से सरकार घबराई है। इसलिए ये जातिगत सम्मेलन कर रही है।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 73 सीटें जीतने का नारा दिया है। इसके लिए पार्टी लगातार अपनी रणनीति पर काम कर रही है। पहले ग्राम स्वराज अभियान चलाकर दलितों को साधने की कोशिश की गई, तो अब सामाजिक प्रतिनिधि बैठक करके ओबीसी को अपने साथ जोड़ने की तैयारी कर रही है। इसका जिम्मा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सौंपा गया है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश की सियासत में ओबीसी की अहमियत कुछ खास है। क्योंकि 45-48 फीसदी ओबीसी वोट प्रदेश में हैं। और पार्टियों को लगता है कि अगर उन्होंने ओबीसी को अपने साथ जोड़ लिया, तो चुनाव में उनकी नैया पार हो जाएगी।

इतना ही नहीं इसमें भी सबसे ज्यादा यादव वोटबैंक है। जो लगभग 10 से 11 फीसदी है और शिवपाल यादव के अलग होने से कहा जा रहा है कि बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के पारंपरिक वोट बैंक में भी सेंधमार दी है। पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि कुछ लोग केवल तीन चार जिलों तक ही एक जाति का प्रतिनिधित्व करते थे। जबकि बीजेपी का तो नारा ही सबका साथ सबका विकास का है। और यही वजह के दूसरी पार्टियों के पेट में दर्द हो रहा है।

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अभी तक यादव वोटबैंक को ससमाजवादी पार्टी का परंपरागत वोट माना जाता रहा है। लेकिन शिवपाल यादव के अलग होने से ये कहा जा रहा है कि इसका असर समाजवादी पार्टी पर पड़ेगा। लेकिन पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि उपचुनावों में भी जनता ने बीजेपी को सबक सिखाया है। और 2019 में भी बीजेपी को लोगों का साथ नहीं मिलेगा।

वहीं कांग्रेस कह रही है कि लगातार पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं और इससे सरकार घबराई हुई है। और बीजेपी जिस जाति का सम्मेलन करती है। उस जाति का नेता ही पार्टी के खिलाफ बोलने लगता है। इस सब मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ही इस तरह के सम्मेलन बीजेपी कर रही है।

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बीजेपी को पता है कि अगर यूपी में पिछड़ों का साथ मिल गया तो 2019 में 73 प्लस का उसका सपना पूरा हो जाएगा। पिछड़ी जातियों को अपने साथ लाने के लिए ही कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है। अब इसका फायदा बीजेपी को कितना मिलेगा ये तो चुनावों के बाद ही पता चलेगा।

देखें वीडियो:-

https://youtu.be/N5wI0-zVsC4

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