वर्ल्ड रेडियो डे : गांधी से लेकर मोदी तक का सहारा बना रेडियो, पढ़िए रोचक कहानी
नई दिल्ली। दुनिया भर में सूचना और प्रसारण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले सबसे सुलभ मीडिया यानी रेडियो का आज ‘जन्मदिन’ है। 13 फ़रवरी का दिन पूरा विश्व “विश्व रेडियो दिवस” के रूप में मनाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत यूनेस्को द्वारा वर्ष 2012 से हुई, जब पूरी दुनिया ने पहली बार विश्व रेडियो दिवस को मनाया। आज दुनिया में इन्टरनेट ने भले ही संचार के तमाम साधनों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया हो लेकिन आज अभी विश्व की 95 प्रतिशत जनसंख्या तक रेडियो की पहुंच है।
पीएम मोदी ने किया ट्वीट
इस ख़ास मौके पर प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को बधाई देते हुए कहा कि, “मैं रेडियो की दुनिया से संबंधित सभी लोगों के लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं, जिसमें उद्योग में काम करने वाले और श्रोता शामिल हैं। यह माध्यम हमेशा सीखने, खोज, मनोरंजन और एक साथ बढ़ने का केंद्र बिन्दु है”।
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बता दें कि, 13 फ़रवरी का दिन ‘विश्व रेडियो दिवस’ के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि 13 फ़रवरी सन 1946 से ही रेडियो यू.एन.ओ. यानि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अपने रेडियो प्रसारण की शुरुआत की गई थी।
आजादी के समय की बात करें तो उस दौर में रेडियो ने अपना खूब कमाल दिखाया था। बड़े-बड़े नेताओं से लेकर राष्ट्र पिता महात्मा गांधी तक ने अपनी बात जनता तक पहुंचाने में रेडियो का ही सहारा लिया था। दरअसल, उस वक़्त में रेडियो संचार का एक मात्र बेहतर साधन हुआ करता था। वहीँ अब अगर मौजूदा समय की बात करें तो जब आधुनिकता ने रेडियो को अपने आगोश में लेना चाहा तो उसके जीवन दाता बने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और शुरू की “मन की बात”।
आज देश में शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो मन की बात कार्यक्रम से न जुड़ा हो। वहीँ क्रिकेट प्रेमियों की बात हो तो जब गांव में बिजली कट जाती है तो मैच की कमेंट्री सुनने के लिए हर किसी को सिर्फ रेडियो ही दिखाई देता है।
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भारत में रेडियो प्रसारण
वहीँ भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई और कोलकाता में सन 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों से हुई। 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा या (इंडियन ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन) रखा गया। बाद में 1957 में इसका नाम बदल कर आकाशवाणी रखा गया जिसके बाद से ये निरंतर “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय” की राह पर चलकर आज भी अपने श्रोताओं के दिल में उतरता है।
आपातकालीन परिस्थितियों में रेडियो
दुनिया के किसी भी कोने में रेडियो सुना जा सकता है। वे लोग, जो पढ़ना-लिखना नहीं जानते, रेडियो सुनकर सारी जानकारियाँ पा जाते हैं। आपातकालीन परिस्थितियों में रेडियो सम्पर्क-साधन की भूमिका भी निभाता है और लोगों को सावधान और सतर्क करता है। कोई भी प्राकृतिक आपदा आने पर बचाव-कार्यों के दौरान भी रेडियो महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
On #WorldRadioDay, I convey my greetings to all those associated with the world of radio, which includes those working in the industry and the listeners. May this medium always remain a focal point of learning, discovering, entertaining and growing together.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 13, 2018