‘टेलीग्राम’ के नाम पर देशवासियों से खिलवाड़, मेक इन इंडिया की आड़ में व्‍हाट्सएप पर फैला झूठ

whatsapp vs telegramलखनऊ।  कुछ समय पहले देश के लाखों स्मार्टफोन यूज़र्स के बीच व्‍हाट्सएप पर एक मैसेज वायरल हुआ रहा था। हो सकता है ये मैसेज आपके पास भी पंहुचा हो इसमें लिखा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को सपोर्ट करे और व्‍हाट्सएप की जगह ‘टेलीग्राम’ को इस्‍तेमाल करें। इस मैसेज को व्‍हाट्सएप पर वायरल करने वाले लोगों ने यूज़र्स को टेलीग्राम भारत का अपना एप है बताकर इस्तेमाल करने को कहा था।

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इसके बाद एक्सपर्ट्स ने इस मैसेज और टेलीग्राम एप की सच्चाई का पता लगाने का फैसला किया और पाया की ये मैसेज 100 फ़ीसदी झूठा है। इतना ही नहीं मैसेज में जिस टेलीग्राम एप को भारत में बना बताया गया था वो निकोलाई और पावेल ने शुरू किया था जो रूस का सबसे बड़ा सोशल नेटवर्किंग नेटवर्क है।  इस नेटवर्क ने 2013 में टेलीग्राम एप लांच किया था।

इसके बाद एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट में ये साफ़ बताया गया है कि मैसेज फर्जी था और उसमें जो सुझाव दिए गए थे उनका भारतीयता से कोई लेना देना नहीं है।  इस संदेश का उद्देश्‍य लोगों के अंदर यह भावना पैदा करना था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ के मिशन का हिस्‍सा बनें।

इतना ही नहीं सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कई लोगों ने इस संदेश को गंभीरता से लिया और उन्‍होंने व्‍हाट्स एप की जगह टेलीग्राम एप्‍लीकेशन को डाउनलोड कर लिया, लेकिन सच सामने आने के बाद से ढ़ेरों यूज़र्स स्‍तब्‍ध हैं।

बता दें व्‍हाट्स एप पर भेजे गए इस संदेश में कहा गया था कि पीएम मोदी ने नारा दिया है मेक इन इंडिया। आए पहल करें, अमेरिकन व्‍हाट्स एप की जगह टेलीग्राम को अपनाएं। आखिर ये पहल भारतीय सोशल मीडिया एप है।

इस संदेश में आगे कहा गया था कि अगर आप व्‍हाट्स एप के लिए हर साल 56 रुपए देते है और भारत में व्‍हाट्स एप के 20 करोड़ यूजर है तो इस एप्‍लीकेशन का इस्‍तेमाल रोककर 1120 करोड़ रुपये देश से बाहर जाने से रोके जा सकते हैं। चीन में भी इसका बहिष्‍कार किया गया है और उसकी जगह अपनी एप्‍लीकेशन वी-चैट का इस्‍तेमाल कर रहे हैं तो हम ऐसा क्‍यों नहीं कर सकते।

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