क्या होता है प्रोविडेंट फंड की इन योजनाओं में अंतर, किस पर कितनी मिलती है टैक्स छूट

सरकार के द्वारा कई तरह की प्रोविडेंट फंड (PF) योजनाओं को चलाया जाता है। इसमें में कुछ औपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए, तो फिर कुछ आम लोगों के लिए हैं, जिसमें पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) और जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) प्रमुख है।

इस सभी योजनाओं के अलग- अलग फायदे हैं। किसी संगठित क्षेत्र के कर्मचारी के साथ ये योजनाएं आम लोगों के लिए भी रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद करती हैं। ऐसे में इन सभी पीएफ योजनाओं में बारे में आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)

जैसा इसके नाम से पता चलता है कि ये पीएफ योजना आम जनता के लिए है। कोई भी बिजनेस, नौकरी या पेशेवर व्यक्ति इस योजना का लाभ उठा सकता है। पीपीएफ की मैच्योरिटी अवधि 15 साल की होती है। अगर आप इसके बाद पीपीएफ में योगदान देना चाहते हैं, तो आप अपने पीपीएफ को पांच-पांच साल के क्रम में आगे बढ़ा सकते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें एक वित्त वर्ष में 1.50 लाख रुपये तक जमा करने पर आपको इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत छूट मिलती है।

एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF)

एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड औपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए होता है। कोई भी निजी कंपनी, जिसमें 20 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं। उन संस्थाओं को अपने कर्मचारियों को ईपीएफ का लाभ देना जरूरी होता है। ईपीएफ में नियोक्ता कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत योगदान देता है। कर्मचारी खुद कम से कम 12 प्रतिशत या इससे अधिक योगदान दे सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें साल के दौरान मिलने वाली 2.5 लाख रुपये तक की ब्याज टैक्स फ्री होती है।

जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF)

जीपीएफ 31 दिसंबर,2003 या इससे पहले नौकरी कर रहे सरकारी कर्मचारियों के लिए है। इसके पात्र सरकारी कर्मचारियों को अपनी सैलरी का जीपीएफ में कम से कम 6 प्रतिशत योगदान देना होता है। जीपीएफ में सरकार की ओर से कोई भी योगदान नहीं दिया जाता है। जीपीएफ में किए जाने वाले योगदान पर भी इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत छूट मिलती है। इसमें एक वित्त वर्ष में अधिकतम 5 लाख तक का ही योगदान किया जा सकता है। 

LIVE TV