यूं ही नहीं दमकता ताजमहल, ‘दुश्मन’ की मिट्टी से आता है निखार

नई दिल्ली। आगरा के ताजमहल की ख़ूबसूरती ने कौन वाकिफ नहीं है। सफ़ेद संगमरमर से बना यह महल दूर से देखने में अद्भुत छवि प्रकट करता है। वैसे तो स्वर्ग की व्याख्या सिर्फ शब्दों में की जाती है। लेकिन शब्द और कल्पना से परे ताज महल भी किसी स्वर्ग से कम नहीं दिखता।

ताजमहल

लेकिन क्या आपको पता है कि सुंदरता के प्रतीक ताजमहल की सफाई का काम एक खास तरीके से किया जाता है, जिसे मड पैकिंग कहते हैं। इसमें एक विशेष क्ले (मिट्टी) का इस्तेमाल होता है। इसकी खासियत ही रंग रूप को निखारना होता है।

ताजमहल को खूबसूरती देने वाली मिटटी

ताजमहल को खूबसूरत बनाने वाली उस क्ले को फुलेर अर्थ कहा जाता है। हम उसे मुल्तानी मिट्टी के नाम से जानते हैं। इसे पॉलिग्रासफाइट या अटापुलगाइट भी कहते हैं, इसमें मैग्नीशियम, एल्यूमिनियम फिलोसिलिकेट होता है। इसका केमिकल फार्मूला (Mg,Al)2Si4O10(OH)।4(H2O) है।

इससे न केवल ताज की गंदगी खत्म जाती है। बल्कि उसका रंग भी निखर जाता है, ऐसा बिल्कुल उसी तरह होता है, जैसे मुल्तानी मिट्टी को चेहरे पर मलकर जब उसे साफ करते हैं, तो उसमें चमक के साथ एक खास आभा आ जाती है।

कब से भारत में हो रहा है इसका उपयोग

ताज में इसका उपयोग करीब 350 साल पहले इसके बनने के बाद से ही हो रहा है। वहीँ सौंदर्य प्रसाधन में इसका इस्तेमाल 1800 के आसपास से लगातार हो रहा है। जब भारत में अंग्रेजों ने रेल लाइन बिछाई। इसे सिंध से लाकर भारत में जगह जगह पहुंचाने का काम तेज हो गया।

उल्लेखनीय है कि ये मिट्टी ब्रिटेन, अमेरिका के दक्षिण पूर्वी हिस्से, पाकिस्तान के सिंध, जापान, मैक्सिको आदि जगहों में पाई जाती है। वहीँ भारत में सौंदर्य साधनों में इसका इस्तेमाल होता है और ये बड़े पैमाने पर पाकिस्तान से आयात की जाती है।

बता दें दुनिया के कई देशों में स्मारक की संरक्षा और सफाई के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है।

मुल्तानी मिट्टी का उपयोग

इसे औषधीय मिट्टी भी कहा जाता है। इसका उपयोग पुराने समय से बाल धोने आदि के लिए होता था। आजकल इसे स्नान करने, फेस पैक आदि के लिए इस्तेमाल करते हैं। चर्मरोगों को समाप्त करने एवं त्वचा को मुलायम रखने में इसका बहुत महत्व है।

ब्रिटेन में इसे ऊन उद्योग में इस्तेमाल करते हैं। मुल्तानी मिट्टी त्वचा से गंदगी साफ करने के लिए बहुत कारगर है। इसका कोई साइड एफेक्ट्स भी नहीं हैं। मुहांसों की समस्या से परेशान लोगों के लिए तो मुल्तानी मिट्टी सबसे कारगर इलाज है, क्योंकि मुल्तानी मिट्टी चेहरे का तेल सोख लेती है, जिससे मुहांसे सूख जाते हैं।

ताज की खूबसूरती में कैसे होता है इसका इस्तेमाल

इसे मड पैकिंग भी कहते हैं। मुल्तानी मिट्टी का पेस्ट बनाया जाता है। पहले पानी का छिड़काव होता है और फिर उस जगह पर मजदूर पेंट करने वाले बड़े ब्रशों की मदद से पूरे ताजमहल में इसका लेप लगाते हैं। पूरे ताजमहल में लेप लगाने का काम तीन से चार महीने का समय ले लेता है।

इस क्ले की खासियत होती है कि ये गंदगी, तैलीय प्रदूषण और अन्य केमिकल को खुद में एब्जॉर्ब कर लेती है। जब ये सूखती है तो इसके कण गंदगी को समाहित करके झड़ते हैं।

जैसे-जैसे क्ले सूखती है, ये प्रक्रिया चलती रहती है। इसके झड़ने के बाद इसे फिर पानी से धो दिया जाता है। इसके बाद ताजमहल की चमक अपने चरम पर होती है, जिसे देख आप इसकी ख़ूबसूरती में खो जाते हैं।

ताजमहल को साफ करने के लिए सालभर में कितने बार ऐसा होता है

पहले तो ताज में केवल एक बार मड पैकिंग करके उसकी सफाई की जाती थी लेकिन अब ये साल में दो बार होने लगी है।

देखें वीडियो:-

LIVE TV