कौन हैं इतिहास के महान क्रांतिकारी लेनिन, जिनकी मूर्ति ने खड़ा किया विवाद

नई दिल्लीः त्रिपुरा में मिली अभूतपूर्व जीत के बाद बीजेपी के सपोर्टर ने वामपंथी किला ढहाने के बाद साउथ त्रिपुरा डिस्ट्रिक्ट के बेलोनिया सबडिविजन में बुलडोजर की मदद से व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को भी गिरा दिया. लेकिन क्या आप लेनिन के बारे में जानते हैं अगर नहीं तो जान लीजिए.

व्लादिमीर लेनिन

इतिहास के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है. व्लादिमीर इलीइच लेनिन का असली नाम ‘उल्यानोव’ था. रूस के साथ हमारे देश की राजनीति में भी लेनिन का रोल बहुत महत्वपूर्ण हैं. विश्व की राजनीति को उन्होंने एक नया रंग दिया था. रूस को क्रांति का रास्ता दिखाकर सत्ता तक पहुंचाने में लेनिन का योगदान था.

ग्रेजुएट होने के बाद भी लेनिन ने 1887 में कजान विश्वविद्यालय के विधि विभाग में एडमिशन लिया. लेकिन विद्यार्थियों के क्रांतिकारी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के कारण विश्वविद्यालय ने लेनिन को निकाल दिया गया.

दो साल बाद 1889 में लेनिन ने स्थानीय मार्क्सवादियों का संगठन बनाया. उसके बाद उन्होंने वकालत शुरू की और मार्क्सवादियों के नेता बन गए.

लेनिन का ये सफर आसान नहीं था. उन्हें कई बार जेल के दर्शन किए. उन्होंने कई किताबें भी लिखी.

लेनिन के नेतृत्व में 1917 में रूस की क्रांति हुई थी. रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक पार्टी) के संस्थापक लेनिन के मार्क्सवादी विचारों को ‘लेनिनवाद’ के नाम से जाना जाता है.

विश्वयुद्ध के बाद लोगों में काफी आक्रोश था. इस युद्ध के बाद बोलशेविक खेमे के लोग सरकार के खिलाफ उतर आए. बोलशेविकों ने सरकारी इमारतों पर कब्जा किया और सत्ता में बोलशेविक काबिज हो गए.

इस रूसी क्रांति की वजह से रूस का भविष्य बदल गया. बोलशेविक सत्ता और व्लादिमीर लेनिन सत्ता में आ गए.

बाहरी देशों के सैनिक हस्तक्षेपों और गृहकलह के तीन सालों 1928-20 में लेनिन ने विदेशी आक्रमणकारियों और प्रतिक्रांतिकारियों से दृढ़तापूर्वक लोहा लेने के लिए सोवियत जनता का मार्ग दर्शन किया. इसके कारण 1922 में सोवियत संघ की स्थापना हुई.

54 साल की उम्र में स्ट्रोक की वजह से उनका निधन हो गया. उनके शरीर को दफनाया नहीं गया था. लेनिन के शरीर को सुरक्षित करके रखा गया है. 21 जनवरी, 1924 सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर लेनिन की मौत हुई थी. दो दिन बाद लेनिन के शव को विशेष रेलगाड़ी से गोर्की से मॉस्को लाया गया. उसके बाद उन्हें ममी बनाकर सुरक्षित कर लिया गया. लेनिन के शव पर तकनीक के इस्तेमाल से पहले गोपनीय प्रयोगशाला में दूसरे शवों पर एक्सपरीमेंट किए गए.

LIVE TV