बिहार का एक गांव जहां पानी पीने के वजह से बूढ़े हो रहे हैं लोग, जाने क्या हैं सच्चाई

( रितिक भारती )

आज के दौर में हर इंसान अपने स्वास्थ्य को फिट रखने कि चाहत रखता है, ताकि कोई लंबी बीमारी उसके पास ना भटके। लोग नही चाहते है, कि समय से पहले कोई ऐसी समस्या उनके जीवन में दस्तक दे। लेकिन अगर जवानी में ही इंसान बूढ़ा हो जाए तो क्या होगा? कभी सोचा हैं आपने? ऐसा ही एक गांव बिहार के बांका में है, जहां के लोग जवानी में ही बूढ़े हो जाते है। पूरा मामला फ्लोराइड युक्त पानी से जुड़ा है। कहा जा रहा है कि इस पानी के पीने से लोग जवान होने से पहले ही बूढ़े हो जा रहे हैं। इस गांव के अधिसंख्य लोगों में दिव्यांगता की लक्षण देखी जा रही है। हर किसी को पैर से लेकर पूरे शरीर में दर्द के साथ ही जवानी में ही उनका शरीर झुक गया है। इस गांव में पैदा होने वाले कई बच्चे भी बचपन से ही दिव्यांग हैं। यहां के लोग अपनी जवानी से कम, पैदा होने से ज्यादा परेशान हो रहे है।

जिले के फुल्लीडुमर प्रखंड की भितिया पंचायत के वार्ड नंबर-14 अंतर्गत आदिवासी बहुल निरपाडीह गांव की आबादी करीब 150 की है। इस गांव में पीने वाले पानी को लेकर समस्या है। गांव में एक पुराना कुआं है जो यहां के लोगों का एकमात्र सहारा है। कई ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव के लोग 30 वर्ष पार करते-करते ही कई बीमारियों के शिकार होने लगते हैं। पैर व घुटने में दर्द शुरू हो जाता है, धीरे-धीरे पैर में टेढ़ापन आ जाता है। ग्रामीणों के दांत भी पीले होकर गलने लगते हैं साथ ही जवानी में ही लोग बूढ़े दिखने लगते हैं। इस बीमारी से पीड़ित ग्रामीण मोतीलाल सोरेन, भुदेव सोरेन आदि ने बताया कि फ्लोराइड युक्त पानी के कारण इस तरह की बीमारी हो रही है, लेकिन आज तक इसका ठोस उपाय नहीं किया गया। कुछ लोगों ने अपने घरों में चापा कल भी लगाया है, लेकिन उसका भी पानी इसी प्रकार है। दो वर्ष पूर्व गांव में नल-जल योजना से पाइप बिछाई गई लेकिन आज तक एक भी बूंद पानी नहीं मिला।

क्या कहते हैं चिकित्सक?

इस संबंध में फुल्लीडुमर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. संजीव सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष दिव्यांग शिविर के क्रम में निरपाडीह गांव के कुछ लोग दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आए हुए थे। इसी दौरान ग्रामीणों से पता चला था कि गांव के शत-प्रतिशत लोग इसी तरह से हैं। आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत फुल्लीडुमर प्रखंड में आयोजित होने वाले स्वास्थ्य मेले से पूर्व निरपाडीह गांव में 21 अप्रैल को विशेष शिविर लगाई जा रही है, जिसमें गांव के लोगों की निशुल्क जांच की जाएगी।

वहीं, पीएचसी प्रभारी ने कहा कि आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़ा यह गांव जंगल और पहाड़ के बीच है, कई वर्षों से लगातार फ्लोराइड युक्त दूषित पानी पीते रहने की वजह से गांव के लोग दिव्यांग होने के साथ-साथ कम उम्र में ही कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

पीएचईडी बांका के कनीय अभियंता मिंटू कुमार ने बताया कि निरपाडीह गांव की जानकारी मिलने पर 25 फरवरी 2022 को गांव पहुंचकर पानी का सैंपल लिया गया था जिसे पटना भेजा गया था। रिपोर्ट मार्च के अंत में पटना से आई है जिसमें फ्लोराइड का मात्रा अधिक पाए जाने के कारण पीएचईडी कार्यपालक अधीक्षण अभियंता एवं पीएचईडी विभाग के वरीय अधिकारियों द्वारा इसे देखा जा रहा है।

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