उत्तराखंड को मिले 70,000 करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव, जानें इन पैसों का कहां होगा इस्तेमाल

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को कहा कि उन्हें प्रदेश में 70,000 करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव मिले हैं। मुख्यमंत्री ने यहां रविवार को आरंभ हुए दो दिवसीय ‘उत्तराखंड निवेशक सम्मेलन’ में कहा, “हमें 70,000 करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव मिले हैं और इसके लिए अधिकांश ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं, जिनका मकसद प्रदेश के पहाड़ी इलाकों का विकास करना है।”

त्रिवेंद्र सिंह रावत

अडाणी समूह ने सबसे ज्यादा 6,500 करोड़ रुपये निवेश करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है। समूह ने मेट्रो रेल परियोजना में 5,000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई है। इसके अलावा समूह द्वारा बिजली पारेषण में 1,000 करोड़ रुपये निवेश किया जाएगा। अडाणी समूह लॉजिस्टिक्स पार्क बनाने में 500 करोड़ रुपये निवेश करेगा।

अडाणी इंटरप्राइजेज के निदेशक प्रणव अडाणी ने कहा, “हम उत्तराखंड में काफी संभावना देख रहे हैं। पिछले साल प्रदेश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 11 फीसदी रही। हमने कृषि उत्पादन के क्षेत्र में भी एमओयू (ज्ञापन समझौता) पर हस्ताक्षर किए हैं।”

प्रदेश सरकार ने निवेश के लिए 12 क्षेत्रों को चिन्हित किया है, जिनमें स्वास्थ्य व आयुष, फार्मास्युटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी, वाणिकी और फूलों की खेती, प्राकृतिक रेशा, पर्यटन और अतिथि सेवा, फिल्म शूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण और ऑटोमोबाइल शामिल हैं।

सम्मेलन में देश-विदेश के सैकड़ों निवेशकों ने हिस्सा लिया। चेक गणराज्य और जापान इस सम्मेलन में भागीदार हैं। सम्मेलन में दोनों देशों के भारत में राजदूतों ने अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व किया।

सिंगापुर के संचार व सूचना मंत्री एस. ईश्वरण भी सम्मेलन में मौजूद थे।

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ऑटो विनिर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा ने प्रदेश में 2000 में ही ट्रैक्टर संयंत्र स्थापित अपने सफर का आगाज किया था। वर्ष 2006 में कंपनी ने हरिद्वार में अपना दूसरा संयंत्र लगाया, जिसमें अब कंपनी की सबसे ज्यादा बिकने वाली मॉडल बोलेरो का विनिर्माण होता है।

महिंद्रा के प्रबंध निदेशक पवन कुमार गोयनका ने कहा, “प्रदेश में अच्छी बुनियादी संरचना और कुशल मानव शक्ति है, जो निवेशकों के लिए अवसर प्रदान करता है। 18 साल से अपनी मौजूदगी में हमें कभी किसी समस्या से नहीं जूझना पड़ा।”

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उन्होंने बताया, “प्रदेश में समूह द्वारा हर महीने बिजली से चालित 1000 तिपहिया वाहन बनाया जाता है।”

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