दो धर्म प्रधान बने प्रेरणा के स्रोत, पुजारी और इमाम ने खुद उतारे लाउडस्पीकर

दिलीप कुमार

आजकल देश के मुख्य धारा की मीडिया मंचो पर धार्मिक स्थलों पर उपयोग किए जाने वाले लाउडस्पीकर को लेकर जोरो से बहस छिड़ा है। वहीं दूसरी ओर झांसी के दो धर्मप्रधानों ने एक कदम आग बढते हुए प्रेरणादायी कृत्य को अंजाम दिया है।

यह घटना झांसी से सटे कस्बे बड़ागांव की है, जहां गांधी चौक पर रामजानकी मंदिर स्थित है। इसके पास ही जामा मस्जिद है। मंदिर में सुबह और शाम आरती के दौरान लाउडस्पीकर बजता था। मस्जिद में पांचों वक्त की नमाज के समय लाउडस्पीकर का उपयोग होता था। पिछले कई दशकों से यहां ऐसा होता आ रहा था।

इसी बीच उक्त मंदिर के महंत श्याम मोहन दास और मस्जिद के इमाम हाफिज मोहम्मद ताज आलम ने आगे बढ़ते हुए अपने-अपने धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटा लिए। अब मंदिर-मस्जिद में बगैर किसी शोर-शारबे के नियमित रूप से अपनी-अपनी धार्मिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।

मंदिर के महंत श्याम मोहन दास ने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर में नियमित रूप से सुबह-शाम आरती और भजन-कीर्तन हो रहे हैं, लेकिन अब लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जा रहा है। शांति के साथ सभी धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं।

वहीं, मस्जिद के हाफिज मोहम्मद ताज आलम ने कहा कि मस्जिद में पिछले कई सालों से दो लाउडस्पीकर लगे हुए थे, जिन्हें उतार दिया गया है। अब पांचों वक्त की नमाज बिना लाउडस्पीकर के पढ़ा जा रहा है।

LIVE TV