दो दशक पहले देश में था मारूती का राज, अब बड़े चक्कों का है बोलबाला

दिलीप कुमार

एक दौर था जब देश की सड़कों पर ज्यादातर मारूती की कारें दौरड़ती थीं। करीब दो दशक पहले मध्यमवर्गीय परिवारों में मारूती 800 का बहुत क्रेज था। बड़े प्यार से लोग इसकी मारूती बलते था।

लोगों ने इस कम पेट्रोल पीने वाली, जीरो मेंटीनेंस और जगह सर्विस देने वाली कार से जंगल, पहाड़ जैसे जोखिम भरे क्षेत्रों में बड़ी आसानी से यात्रा कर खूब मजा लिये। फिर एक ऐसा समय आया जब भारत में कार के कारोबार में कई अन्य कंपनियां उतरीं तो मारूती पिछे छूटती चली गई।

मारूती जैसी कारों के पिछे छूटने का एक और बड़ा कारण है कि वर्तमान परिवेश में ज्यादातर लोग छोटे चक्के के कार के बजाय बड़े चक्कों वाली कारों को अहमियत देने लगे हैं। बड़े चक्कों वाले कारों को प्राथमिकता देने का मुख्य कारण यह है कि फिसलन भरे रास्तों ( बर्फीले रास्तों ) पर इनके चक्के चपककर चलते हैं और सड़क दुर्घटना की संभावना कम रह जाती है।

इसके अलावा इन कारों से लंबी दूरी आसानी से तय की जा सकती है। इन दिनों बाजार में बड़े चक्कों के कई मॉडल बाजार में उपलब्ध हैं, जिस वजह से लोगों का ध्यान छोटे चक्कों के बजाय बड़े चक्कों के कार पर ज्यादा जाता है।

आपको बता दें कि वर्ष 2002 में बड़े चक्कों के कार बाजार में मात्र 11 मॉडल बाजार में उपलब्ध थे, जबकि वहीं इन दिनों बाजार में बड़े चक्कों वाले कारों की कुल 68 मॉडल उपलब्ध है।

क्रिसिल रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-22 के पहले नौ महीनों में भारत की सवारी गड़ियों में यूटिलिटी वैहिकल्स की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत हो गई है, जो दो दशक पहले 15 प्रतिशत थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान में बड़े चक्कों के कारों का कितना क्रेज है?

गौरतलब है कि पिछले 20 वर्षों में बड़े चक्कों के कारों का मार्केट शेयर 33 फीसदी बढ़ा है। वर्ष 2026 तक इन कारों के मार्केट शेयर में और ज्यादा बढ़त देखने को मिलेगा। इस तरह के वाहनों में हर वर्ष 18 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना है।

अगर बड़े चक्कों के कारों की बात करें तो इनमें क्रेटा, नेक्सा, एक्सयूवी 300, सेल्टॉस, बीटारा ब्रेजा, सोनेट, मैग्नाइट, काइगर जैसी तमाम गड़ियां भारतीय ग्राहकों के बीच लोकप्रिय हैं। क्रिसिल के वर्तमान रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009 से 2019 के बीच जहां छोटे चक्कों के कारों में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई तो वहीं बड़े चक्कों की कारों में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

फरवरी महीने में आए वार्षिक रिपोर्ट के आधार के आनुसार कारों के बिक्री में 7 प्रतिशत और बाईक की बिक्री में 27 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। अगर सरल भाषा में कहें तो पिछले वर्ष फरवरी में जहां 2,81,380 कारें बिकी थीं, तो वहीं दूसरी ओर इस वर्ष कारों की बिक्री घटकर 2,62,984 हो गईं। उसी तरह पिछले वर्ष फरवरी 2021 में 14,26,865 बाईकें बिकी, लेकिन इस वर्ष बाईकों की बिक्री घटकर 10,37,994 पर रूक गई।

बता दें कि यूक्रेन और रूस के चलते ऑटो इंडस्ट्री के स्थिति दैयनिय है। पिछले कुछ महीनों से इंडस्ट्रियों ने सेमीकंडक्टरों से बनें चिप केआभाव का सामना किया है, जसिके चलते इंडस्ट्री का प्रोडक्शन रेट घट गया है। इसके साथ ही वाहन संबंधी कच्चे मालों के सप्लाई चैन पर असर पड़ने से ये ज्यादा कीमत पर उपलब्ध है, जिस वजह से मोटर वाहन कंपनियों को अपने प्रोडक्ट का कीमत भी बढ़ाना पड़ा है।

LIVE TV