
29 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच व्हाइट हाउस में होने वाली मुलाकात पर वैश्विक समुदाय की नजरें टिकी हैं। यह मुलाकात गाजा में चल रहे इजरायल-हमास युद्ध में संघर्ष विराम और बंधक रिहाई पर केंद्रित होगी।
ट्रंप ने रविवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, “मध्य पूर्व में महान बदलाव का हमारे पास असली मौका है। हम सभी पहली बार कुछ खास करने के लिए साथ आए हैं और हम इसे पूरा करके रहेंगे।” यह बयान गाजा में शांति की उम्मीदों को बढ़ाता है, लेकिन कई चुनौतियां बाकी हैं।
इजरायल की राजनीतिक विशेषज्ञ ईटन गिलबोआ के अनुसार, ट्रंप नेतन्याहू पर संघर्ष विराम के लिए दबाव डाल सकते हैं, लेकिन नेतन्याहू की गठबंधन सरकार में शामिल कट्टरपंथी सहयोगी, जैसे इटामार बेन-ग्विर और बेजलेल स्मोट्रिच, हमास के पूर्ण खात्मे और युद्ध जारी रखने की मांग कर रहे हैं। यदि नेतन्याहू संघर्ष विराम पर सहमत होते हैं, तो उनकी सरकार अस्थिर हो सकती है। हाल ही में इजरायल द्वारा कतर में हमास नेताओं पर हमले ने भी पश्चिम एशिया के देशों को इजरायल के खिलाफ लामबंद होने के लिए प्रेरित किया है, जिससे अमेरिका पर दबाव बढ़ा है।
ट्रंप प्रशासन का 21-सूत्रीय शांति प्रस्ताव
ट्रंप प्रशासन ने गाजा में संघर्ष विराम के लिए 21-सूत्रीय प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें शामिल हैं:
- 48 घंटों में सभी बंधकों की रिहाई।
- गाजा से इजरायली सेना की चरणबद्ध वापसी।
- हमास के शासन को समाप्त करना और उसका निशस्त्रीकरण।
- गाजा में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती।
- गाजा में मानवीय सहायता की आपूर्ति में वृद्धि।
हालांकि, इस प्रस्ताव में गाजा से फलस्तीनी नागरिकों को निकालने की पहले की गई बात शामिल नहीं है, जिसे ट्रंप ने फरवरी 2025 में सुझाया था। यह प्रस्ताव अरब देशों, जैसे सऊदी अरब, यूएई, कतर, और मिस्र के साथ साझा किया गया है। हमास ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख दिखाया है, लेकिन वह युद्ध के स्थायी अंत और इजरायली सेना की पूर्ण वापसी की गारंटी चाहता है, जबकि इजरायल हमास के आत्मसमर्पण और निर्वासन की शर्त रख रहा है।
वैश्विक और क्षेत्रीय दबाव
7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजरायल पर हमले, जिसमें 1,200 लोग मारे गए और 251 बंधक बनाए गए, के बाद शुरू हुए युद्ध में अब तक गाजा में 66,000 से अधिक फलस्तीनी मारे जा चुके हैं और 1,68,162 घायल हुए हैं। गाजा में भुखमरी और विस्थापन की स्थिति गंभीर है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने “भुखमरी, दरिद्रता और मृत्यु” की स्थिति बताया है। फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने हाल ही में फलस्तीनी राज्य को मान्यता दी है, जिससे इजरायल पर दबाव बढ़ा है। ट्रंप ने वेस्ट बैंक के इजरायली कब्जे को भी खारिज किया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय अवैध मानता है।
नेतन्याहू की चुनौतियां
नेतन्याहू के लिए यह मुलाकात एक अग्निपरीक्षा है। उनकी गठबंधन सरकार के कट्टरपंथी सहयोगी न केवल गाजा में युद्ध जारी रखना चाहते हैं, बल्कि वेस्ट बैंक के कब्जे की भी वकालत करते हैं। दूसरी ओर, इजरायल में जनता और बंधकों के परिवार युद्ध समाप्ति और बंधकों की रिहाई के लिए दबाव डाल रहे हैं। गाजा में हाल के महीनों में 20 इजरायली सैनिकों की मौत और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना ने नेतन्याहू की स्थिति को और जटिल कर दिया है।