CM योगी ने तीन तलाक के क़ानून को दिखाई हरी झंडी, कहा- कबूल है
लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा ट्रिपल तलाक के खिलाफ बनाए जा रहे सख्त क़ानून के लिए यूपी की योगी सरकार ने अपनी सहमति दे दी है। मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्तावित कानून को मंजूरी दे दी। दरअसल, तीन तलाक के मुद्दे पर तमाम जद्दोजहद के बाद केंद्र सरकार सख्त कानून बनाने जा रही है जिसके लिए उसने राज्य सरकारों से उनकी राय मांगी थी। इस क़ानून के तहत कोई भी मुस्लिम पति अगर अपनी पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा।
यूपी सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बैठक के बाद प्रेस वार्ता में बताया कि “केंद्र सरकार ने प्रस्तावित कानून पर 10 दिसंबर तक राज्य सरकार का मत मांगा था। प्रस्तावित कानून से मुस्लिम महिलाओं को भी दूसरी महिलाओं के समान संविधान से मिले सभी अधिकार और सामाजिक सुरक्षा प्राप्त हो सकेगी”।
पलक झपकते ही नाकाम होंगे दुश्मन के इरादे, सेनाओं को मिली ‘आकाश’ की ताकत
शर्मा ने बताया कि “सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को अवैध करार दिए जाने के बाद भी कई मामले सामने आए। दरअसल तीन तलाक के विरुद्ध कोई दंडनीय प्रावधान न होने से आए दिन इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। प्रस्तावित कानून में एक बार में तीन तलाक को दंडनीय अपराध मानते हुए तीन साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है। इसमें तलाक पीड़ित महिलाओं व उनके बच्चों के जीवन निर्वाह के लिए रकम देने की व्यवस्था के साथ बच्चों को महिलाओं के संरक्षण में ही देने का प्रावधान है”।
आपको बता दें कि, सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक तीन तलाक खत्म करने के लिए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में कानून लाएगी। सरकार ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ नाम से इस विधेयक को लाएगी। ये कानून सिर्फ तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानि तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा। इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा।
बाबरी मस्जिद विध्वंस: वो घटना जिसने श्री राम के साथ बाबर को भी ‘हीरो’ बना दिया
मौखिक, लिखित, मैसेज या किसी भी तरह से दिया गया तीन तलाक अवैध होगा। जो भी तीन तलाक देगा, उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। साथ ही ये गैर-जमानती और संज्ञेय ( Cognizable) अपराध होगा। इसमें मजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना होगा।
अगर किसी महिला को तीन तलाक दिया जाता है तो वह महिला खुद अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए मजिस्ट्रेट से भरण-पोषण और गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है। कितना गुजारा भत्ता देना है, उसका अमाउंट मजिस्ट्रेट तय करेगा। महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी के लिए भी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकती है।