
Tokyo Olympic: भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किग्रा भारवर्ग में कुछ ही देर बाद कांस्य पदक के लिए मैदान में उतरेंगे। पूरा देश उनकी सफलता की कामना कर रहा है वहीं बजरंग की मां ओमप्यारी ने कहा कि सेमीफाइनल में बेटे की हार से दुख जरूर हुआ है, लेकिन आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि मेरा बेटा विदेश से खाली हाथ लौटा हो। बेटे को खूब घी खिला रखा है, इस बार भी वह देश के लिए पदक जीतकर ही लौटेगा।

वहीं बजरंग के पिता बलवान सिंह पूनिया ने कहा कि खेल में हार-जीत चलती रहती है। एक माह पहले घुटने में लगी चोट के कारण बजरंग ज्यादा अटैक नहीं कर पाया। लेकिन बजरंग ने अब तक शानदार खेल दिखाया है। हमें उम्मीद है कि बजरंग देश(Tokyo Olympic) के लिए कांस्य पदक हर हाल में जीतकर लाएगा।
झज्जर के खुडन गांव में जन्म लेने वाले बजरंग का बचपन बेहद तंगहाली में बीता है। बजरंग के परिवार में खेती से जितना आता था, उससे घर का ही गुजारा हो पाता था। विश्वविद्यालय स्तर पर पहलवानी कर चुके बजरंग के पिता बलवान सिंह ने 2005 में छारा गांव के लाला दीवानचंद अखाड़े में बजरंग का दाखिला कराया था। बजरंग के सपने पूरे करने के लिए पिता ने बस का किराया बचाकर साइकिल से सफर करना शुरू कर दिया था।
यही नहीं करीब डेढ़ दशक से भी अधिक समय से जंकफूड से दूरी बनाई हुई है। जागरूकता के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले बजरंग ने ओलंपिक से कई महीने पहले ही उससे दूरी बना ली थी।
बजरंग की उपलब्धियां
- वर्ष 2013 में एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक
- वर्ष 2014 में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक
- वर्ष 2017 व 2019 में एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
- वर्ष 2014 में एशियाई खेलों में रजत पदक व 2018 में स्वर्ण पदक जीता
- वर्ष 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक व 2018 में स्वर्ण पदक जीता
- वर्ष 2017 में एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
बता दें कि बजरंग ने ईरान के मुर्तजा चेका घियासी को 2-1 से पटखनी देकर कर सेमीफाइनल में जगह पक्की की थी। इससे पहले बजरंग ने किर्गीस्तान के अर्नाजार अकमातालिएव को हराकर क्वार्टरफाइनल में जगह पक्की की थी।