आज का इतिहास : भारत के लौह पुरुष “सरदार वल्लभ भाई पटेल”

भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की आज जंयती है। इस दिन देशभर में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जा रहा है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर मजबूत और एकीकृत भारत के निर्माण में सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।

आज का इतिहास : भारत के लौह पुरुष "सरदार वल्लभ भाई पटेल"

उनका जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व सदैव प्रेरणा के रूप में देश के सामने रहेगा। उन्होंने युवावस्था में ही राष्ट्र और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया था। इस ध्येय पथ पर वह नि:स्वार्थ भाव से लगे रहे।

टेलीग्राम में लिखी थी पत्नी के निधन की बात
गीता में भगवान कृष्ण ने कर्म कौशल को योग रूप में समझाया है। अर्थात अपनी पूरी कुशलता, क्षमता के साथ दायित्व का निर्वाह करना चाहिए। सरदार पटेल ने आजीवन इसी आदर्श पर अमल किया। जब वह वकील के दायित्व का निर्वाह कर रहे थे, तब उसमें भी मिसाल कायम की। जब वह जज के सामने जिरह कर रहे थे, तभी उन्हें एक टेलीग्राम मिला, जिसे उन्होंने देखा और जेब में रख लिया। उन्होंने पहले अपने वकील धर्म का पालन किया, उसके बाद घर जाने का फैसला लिया। तार में उनकी पत्नी के निधन की सूचना थी।

वस्तुत: यह उनके लौहपुरुष होने का भी उदाहरण था। ऐसा नहीं कि इसका परिचय आजादी के बाद उनके कार्यों से मिला, बल्कि यह उनके व्यक्तित्व की बड़ी विशेषता थी। इसका प्रभाव उनके प्रत्येक कार्य में दिखाई देता था।

फोड़े को गर्म सलाख से किया ठीक

बचपन में फोड़े को गर्म सलाख से ठीक करने का प्रसंग भी ऐसा ही था। तब बालक वल्लभभाई अविचलित बने रहे थे। एक बार उन्हें फोड़ा हो गया जिसका खूब इलाज करवाया गया लेकिन वह ठीक नहीं हुआ। इस पर एक वैध ने सलाह दी कि इस फोड़े को गर्म सलाख से फोड़ा जाए तो ठीक हो जाएगा। बच्चे को सलाख से दागने की हिम्मत किसी की भी नहीं हुई ऐसे में सरदार पटेल ने खुद ही लोहे की सलाख को गर्म किया और उसे फोड़े पर लगा दिया, जिससे वह फूट गया। उनके इस साहस को देख परिवार भी अचंभित रह गया।

यह प्रसंग उनके जीवन को समझने में सहायक है। आगे चलकर उनकी इसी दृढ़ता और साहस ने उन्हें महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कुशल प्रशासक के रूप में प्रतिष्ठित किया। देश को आजाद करने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

गांधी भी मानते थे लौह पुरुष का लोहा
महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के साथ ही कांग्रेस में एक बड़ा बदलाव आया था। इसकी गतिविधियों का विस्तार सुदूर गांव तक हुआ था। लेकिन इस विचार को व्यापकता के साथ आगे बढ़ाने का श्रेय सरदार पटेल को दिया जा सकता है। उन्हें भारतीय सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की भी गहरी समझ थी। वह जानते थे कि गांवों को शामिल किए बिना स्वतंत्रता संग्राम को पर्याप्त मजबूती नहीं दी जा सकती।

वारदोली सत्याग्रह के माध्यम से उन्होंने पूरे देश को इसी बात का संदेश दिया था। इसके बाद भारत के गांवों में भी अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी थी। देश में हुए इस जनजागरण में सरदार पटेल की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी। इस बात को महात्मा गांधी भी स्वीकार करते थे। सरदार पटेल के विचारों का बहुत सम्मान किया जाता था। उनकी लोकप्रियता भी बहुत थी। स्वतंत्रता के पहले ही उन्होंने भारत को शक्तिशाली बनाने की कल्पना कर ली थी।

संविधान निर्माण में भी योगदान
संविधान निर्माण में भी उनका बड़ा योगदान था। इस तथ्य को डॉ। अंबेडकर भी स्वीकार करते थे। सरदार पटेल मूलाधिकारों पर बनी समिति के अध्यक्ष थे। इसमें भी उनके व्यापक ज्ञान की झलक मिलती है। उन्होंने अधिकारों को दो भागों में रखने का सुझाव दिया था। एक मूलाधिकार और दूसरा नीति-निर्देशक तत्व।

मूलाधिकार में मुख्यत: राजनीतिक, सामाजिक, नागरिक अधिकारों की व्यवस्था की गई। जबकि नीति निर्देशक तत्व में खासतौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया गया। इसमें कृषि, पशुपालन, पर्यावरण, जैसे विषय शामिल है। इन्हें आगे आने वाली सरकारों के मार्गदर्शक के रूप में शामिल किया गया। बाद में न्यायिक फैसलों में भी इसकी उपयोगिता स्वीकार की गई। यहां इस प्रसंग का उल्लेख अपरिहार्य था।

सरदार पटेल भारत की मूल परिस्थिति को गहराई से समझते थे। वह जानते थे कि जब तक अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान महत्वपूर्ण बना रहेगा, तब तक संतुलित विकास होता रहेगा। इसके अलावा गांव से शहरों की ओर पलायन नहीं होगा। गांव में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। आजादी के बाद भारत को एक रखना बड़ी समस्या थी।

 

 आज का इतिहास

31 अक्टूबर की महत्वपूर्ण घटनाएँ

1759 – फिलीस्तीन के साफेद में भूकंप से 100 लोग मारे गये।

1864 – नेवादा अमेरिका का 36वां प्रांत बना।

1905 – अमेरिका के सेंट पीटर्सबर्ग में क्रांतिकारी प्रदर्शन।

 

1908 – चौथे ओलंपिक खेलों का लंदन में समापन।

1914 – ब्रिटेन तथा फ्रांस ने तुर्की के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

1920 – मध्य यूरोपीय देश रोमानिया ने पूर्वी यूरोप के बेसाराबिया पर कब्जा किया।

 

1953 – बेल्जियम में टेलीविजन का प्रसारण शुरू हुआ।

1956 – स्वेज नहर को फिर से खोलने के लिए ब्रिटेन तथा फ्रांस ने मिस्र पर बमबारी शुरू की।

1959 – सोवियत संघ तथा मिस्र ने नील नदी पर अस्वान बांध बनाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये।

 

1960 – बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान से करीब दस हजार लोगों की मौत।

1966 – भारत के मशहूर तैराक मिहिर सेन ने पनामा नहर को तैरकर पार किया।

1978 – ईरान में तेल कर्मचारियों की हड़ताल शुरू।

 

1982 – पोप जाॅन पॉल द्वितीय स्पेन जाने वाले पहले बिशप बने।

1984- भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके पश्चात् राजीव गांधी भारत के 9वें                                   प्रधानमंत्री बनें।

1989 – तुर्गत ओजल तुर्की के राष्ट्रपति चुने गये।

 

1996 – रासायनिक अस्त्र प्रतिबंध संधि को लागू करने के लिए आवश्यक 65 देशों की मंजूरी मिली।

2003 – हैदराबाद में आयोजित अफ़्रोएशियन हॉकी चैम्पियनशिप में भारत ने पाकिस्तान को 3-1 से हराकर स्वर्ण प्राप्त किया। मलेशिया के                                      प्रधानमंत्री मोहतिर मोहम्मद ने शासन की बागडोर उपप्रधानमंत्री अब्दुल्ला अहमद को सौंपी।

2004 – फालुजा में अमेरिका ने हवाई हमला किया।

 

2005 – फ़िलिस्तीन-इस्रायल हिंसा न करने पर सहमत। रूस को वोल्कर रिपोर्ट के पीछे जोड़-तोड़ का सन्देह। चीन और नेपाल सीमा के संयुक्त                                   निरीक्षण पर सहमत।

2006 – श्रीलंका सरकार ने तमिल विद्रोहियों पर जाफना प्राय:द्वीप में जवानों पर गोलीबारी करने का आरोप लगाया।

2008- देश में 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे को गुप्त और अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराने सम्बन्धी विधेयक को केन्दीय मंत्रीमण्डल ने मंज़ूरी दी।

2015 – रूसी एयरलाइन कोगलीमाविया का विमान 9268 उत्तरी सिनाई में दुर्घटनाग्रस्त होने से विमान में सवार सभी 224 लोगों की मौत।

31 अक्टूबर को जन्मे व्यक्ति

1875 – सरदार वल्लभ भाई पटेल – भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतन्त्र भारत के प्रथम गृह मंत्री

1889 – नरेन्द्र देव – भारत के प्रसिद्ध विद्वान, समाजवादी, विचारक, शिक्षाशास्त्री और देशभक्त।

पति, पत्नी और प्रेमी के बीच हुए विवाद की बलि चढ़ा मामा

1922 – नोरोदम शिनौक – कंबोडिया के राजा थे।

1943 – जी. माधवन नायर, भारतीय वैज्ञानिक और ‘इसरो’ के भूतपूर्व अध्यक्ष

1962 – सर्बानन्द सोनोवाल – असम के 14वें मुख्यमंत्री और भारत की सोलहवीं लोकसभा के सांसद हैं।

31 अक्टूबर को हुए निधन

1975- सचिन देव बर्मन, बंगला और हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध संगीतकार तथा गायक। प्रमुख फ़िल्में- आराधना

1984 – इन्दिरा गांधी – भारत की चौथी प्रधानमंत्री

2005 – अमृता प्रीतम, प्रसिद्ध कवयित्री, उपन्यासकार और निबंधकार

31 अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव

  • राष्ट्रीय एकता दिवस
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