आज का इतिहास: देश को मिली प्रथम महिला मंत्री ‘श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित’
श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित भारत की अग्रिम पंक्ति की ऐसी महिला थी जिन्होंने एक साथ कई क्षेत्रो में पहल की। वह “प्रथम महिला मंत्री” , “प्रथम महिला राजदूत” और भारत की प्रथम नारी थी जिन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्था की अध्यक्षा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 में अलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू और भाई भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु थे।
उनका बचपन का नाम स्वरूप कुमारी था। जब उनका जन्म हुआ था तब जवाहरलाल जी 11 वर्ष के थे। स्वरूप सुंदर भी चपल भी। चार पांच वर्ष की उम्र में ही फ्र्राटे से अंग्रेजी में बात करती हुयी भाई के साथ घुड़सवारी करने लगी थी। इसी उम्र में सन 1904 में पिता के साथ यूरोप घूम आयी थी। फिर दोबारा 1926 में पति और भाई के साथ गयी। इसके बाद तो विजयलक्ष्मी का जीवन एक अंतर्राष्ट्रीय जीवन कहा जा सकता है।
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नेहरु जी की तरह स्वरूप कुमारी का पालन-पोषण , शिक्षण और रहन-सहन भी पाश्चात्य ढंग से हुआ। 1919 में उनका विवाह एक गुजराती विद्वान श्री रणजीत पंडित से हुआ। विवाह के बाद वे स्वरूप कुमारी नेहरु से विजयलक्ष्मी पंडित कहलाई। श्री रणजीत पंडित आजादी की लड़ाई में उनके साथ थे।
सन 1942 के भारत के भारत छोड़ो आन्दोलन के कुछ दिन उनका निधन हो गया। तीन लडकियों के पालन-पोषण का भार विजयलक्ष्मी पंडित पर आ पड़ा। ससुराल वालों ने पुत्रहीन विधवा और उसकी पुत्रियों को सम्पति में कोई हिस्सा देने से इन्कार कर दिया क्योंकि भारतीय उत्तराधिकार कानून में नारी के लिए इस तरह की कोई व्यवस्था नही थी।
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