संसद में लटका तीन तलाक बिल, कांग्रेस से पार नहीं पा पाई भाजपा

तीन तलाक बिलनई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार यानी आज समाप्त हो गया है। इसी के साथ सरकार का तीन तलाक बिल राज्सभा में पास नहीं हो पाया है। हालांकि सरकार ने इस बिल को पास कराने के लिए पूरी कोशिश की थी लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विरोध के कारण सरकार यह बिल राज्य सभा में पास कराने में असमर्थ रही।

दरअसल कांग्रेस इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही थी।वहीं सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि बिल को सेलेक्टन कमेटी (प्रवर समिति) के पास नहीं भेजा जा सकता क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर रखा है और कोर्ट के जजों ने छह महीने के लिए तीन तलाक पर रोक लगाई थी और वो अवधि 22 फरवरी को पूरी हो रही है। जबकि विपक्ष का कहना है कि 6 महीने की अवधि बिल पास होने की तारीख से मानी जाएगी।

लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि आखिर सरकार सरकार मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 बिल को प्रवर समिति के पास भेजने से क्यों बच रही थी।

यह भी पढ़ें-नक्सल प्रभावित इलाके में 5,500 किलोमीटर सड़क निर्माण को मंजूरी

बता दें कि संसद में 2 तरह की कमिटियों यानी संसदीय समितियां काम करती हैं जिनका गठन सरकारी कामकाज पर प्रभावी नियंत्रण बनाए रखने के लिए भी किया जाता है।

प्रवर समिति और संयुक्त समिति के रूप में तदर्थ समिति दो प्रकार की होती हैं, इन दोनों ही समितियों का कार्य सदन में पेश बिल (विधेयकों) पर विचार करना होता है, लेकिन जरूरी नहीं कि सदन की ओर से इन दोनों समितियों के पास सभी विधेयकों पर विचार के लिए भेजा ही जाए।

यह भी पढ़ें-पीएम मोदी के लिए ख़ास तोहफा ला रहे इजरायली प्रधानमंत्री

प्रवर समिति भेजे गए बिल के सभी मामलों पर गंभीरता से विचार करती है। विचार के बाद समिति किसी भी मामले पर अपने सुझाव दे सकती है। यह समिति बिल से संबंधित संगठनों, विशेषज्ञों और अन्य लोगों से उनकी राय ले सकती है। बिल पर गहन विचार-विमर्श के बाद प्रवर समिति अपने संशोधनों और सुझावों के साथ सदन को रिपोर्ट सौंपती है। अगर समिति का कोई सदस्य संबंधित बिल पर असहमत होता है तो उसकी असहमति भी रिपोर्ट के साथ भेजी जा सकती है।

सरकार को मालूम है कि प्रवर समिति में विपक्ष हावी रहेगा और उसकी ओर से जो संशोधन दिए जाएंगे उसे मनवाने पर भी जोर देगी। अगर मजबूरन सरकार राज्यसभा के संशोधनों को मान लेती , तो उस सूरत में बिल को फिर से लोकसभा में भेजना पड़ता।

LIVE TV