सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने मिलाया क्लीनमैक्स सोलर से हाथ

सौर ऊर्जा अपनाने के लिएनई दिल्ली। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अपने दिल्ली स्थित केंद्र के साथ-साथ देशभर में स्थित अपनी अनुषंगी इकाइयों में सौर ऊर्जा अपनाने के लिए क्लीनमैक्स सोलर के साथ हाथ मिलाया है। मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय के नोएडा स्थित द नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) ने सोमवार को अपनी 15केजी परियोजना का उद्घाटन किया। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में स्थापित ये रूफटॉप सोलर प्लांट ओपेक्स मॉडल अर्थात ‘पे एज यू गो’ के सिद्धांत पर आधारित हैं।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह एक निवेश मुक्त, जोखिम मुक्त और परेशानी मुक्त मॉडल है जो विद्युत ग्रिड के मुकाबले औसतन 30 प्रतिशत सस्ती दरों में ऊर्जा उपलब्ध कराएगा। नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आमंत्रित किए गए इंडिया एसएमई टेक्नालॉजी सर्विसेस लि. (आईएसटीएसएल) के इस टेंडर के तहत एमओईएस दिल्ली, एनसीएमआरडब्ल्यूएफ नोएडा, आईएनसीओआईएस हैदराबाद, एनआईओटी चेन्नई और आईआईटीएम पुणे में रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं।

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दिल्ली, नोएडा, हैदराबाद, चेन्नई और पुणे जैसे शहरों में स्थित पांच संस्थानों के पास संचयित 968 केडब्ल्यूपी की सौर क्षमता के बल पर यह उपक्रम सालाना 36.54 लाख रुपयों की बचत करने के साथ-साथ 1200 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन घटाएगा।

क्लीनमैक्स सोलर के सह-संस्थापक एंर्डयू हाइंन्स ने कहा, “कॉरपोरेट संस्थानों को रूफटॉप सोलर सोल्यूशंस दिलाने के क्षेत्र में क्लीनमैक्स पहले से ही इंडस्ट्री की लीडर है, अब हमें सौर ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार एवं संस्थागत ग्राहकों की मदद करने का शानदार मौका दिखाई दे रहा है। एमओईएस के लिए ऊर्जा मांग और आपूर्ति की खाई पाटने तथा स्थिरता एवं वहनीयता के लक्ष्यों की प्राप्ति में मददगार बनकर हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं।”

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उन्होंने कहा, “आज ज्यादा से ज्यादा सरकारी निकाय केंद्र सरकार की सौर-आत्मनिर्भरता वाली दृष्टि अपना रहे हैं तथा बिना अग्रिम पूंजी निवेश के इसे सक्रिय रूप से अंगीकार कर रहे हैं। एमओईएस के अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (आईआईटी), बीएचयू, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (एनआईटी), सूरथकल (कर्नाटक) तथा विभिन्न सीपीडब्ल्यूडी इमारतें, जैसे कि आयकर भवन, प्रतिष्ठा भवन और कस्टम्स व एक्साइज बिल्डिंग्स (पुणे/मुंबई/बैंगलुरू) आदि ने हमारे सौर-समाधान अपनाएं हैं।”

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