कुंडली में मंगल दोष से न हों परेशान, इन उपायों से होगा कल्याण

कुंडलीमानव की जन्म कुंडली में मंगल दोष का होना, उसके जीवन में कई समस्याओं को उत्पन्न करता है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि मंगल मानव शरीर में रक्त का कारक होता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल देव को लाल रंग का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह माना गया है।

खास तौर पर जिस भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल दोष हो तो उसे  विवाह संबंधी परेशानियों, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता  हैं।  बताया गया है कि मंगल दोष जातक को तभी होता है। जब कुंडली के लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव में मंगल स्थित होता है।

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यदि मंगल 1 भाव में रख कर 4, 7 और 8 भाव पर दृष्टि करता है। तो 1 व्यक्ति के चरित्र व को दर्शाता है। इस कारण से व्यक्ति बहुत आवेगी और तुरंत गुस्सा करने वाला हो सकता है। 7 वें भाव में हो तो वैवाहिक जीवन में बाधायें आती हैं। 8 वें भाव में होने से भयंकर दुर्घटना हो सकती है। इस प्रकार लग्न में मंगल का बैठना अशुभ माना जाता है।

अगर मंगल 12 वें भाव में हो तो यह 3, 6 और 7 भाव को प्रभावित करता है। 12 वां भाव व्यक्ति की आदतों को दर्शाता है। इससे व्यक्ति खर्च की अधिकता के बोझ तले दब जाता है।

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यदि मंगल 7 वें भाव में हो तो यह 10, 1 और  2 को प्रभावित करता है। 7वां भाव वैवाहिक जीवन और जीवनसाथी का स्थान होता है। इसलिए यहां मंगल का होना वैवाहिक जीवन में कठिनाइयों का सूचक है। 2 (दूसरे) भाव में मंगल पारिवारिक सदस्यों के बीच विवाद पैदा करता है।

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