इस एक चीज ने आसाराम को बना दिया रेपिस्ट, जानेंगे तो रह जाएंगे दंग

बहुचर्चित आसाराम को रेप के मामले में जोधपुर की स्पेशल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर कर दी है। सजा सुनाए जाने के बाद बलात्कारी बाबा फूट-फूट कर रोने लगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाबा इस गंदी लत का शिकार हुए कैसे?

वैसे तो इंसान की मानसिकता उसके दुष्कर्मों की वजह मानी जाती हैं। पर यहां गौर करे तो थ्योरी कुछ अलग ही कहानी बयान करती है।

यह भी पढ़ें : जोधपुर कोर्ट ने किया सजा का ऐलान, “उम्र” भर जेल की हवा खाएंगे आसाराम

बहुचर्चित आसाराम

अब ये कितनी वाजिब और कितनी सही है इस बात का तो कोई प्रमाण नहीं है। फिर भी इस मामले में इसका जिक्र और संबध उभर कर सामने आ रहा है, जो बेहद ही विचारणीय विषय है।

बता दें हम बात कर रहे हैं औषधीय गुणों वाली सफेद मूसली की। वैसे तो ये आयुर्वेद की शक्ति के कारण मांग में रहती है। लेकिन आसाराम का मामला सामने आने के बाद से ही इसकी डिमांड पहले से कई गुना बढ़ चली है।

यह भी पढ़ें : आसाराम का खौफः रेप के डर से लड़कियां पी लेती थी एसिड

आयुर्वेद में सफेद मूसली को सौ से अधिक दवाओ के निर्माण में उपयोग के कारण दिव्य औषधि के नाम से जाना जाता है। यह एक सदाबहार शाकीय पौधा है।

ये समशीतोष्ण क्षेत्र में यह प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। विश्व बाजार में इसकी बहुत मांग बढी हुई है जो 35000 टन तक प्रतिवर्ष आंकी गई है किन्तु इसकी उपलब्धता 5000 टन प्रतिवर्ष है।

खबरों के मुताबिक़ आसाराम की एक सेविका ने जोधपुर कोर्ट में ट्रायल के वक्त इसका जिक्र किया था। सेविका ने बताया था कि बाबा इस औषधि का सेवन किया करते थे।

इस बात के सामने आने के बाद और इस औषधि के उपयोग के दावे के बलबूते इस बात पर कड़ी जोड़ी जा रही है कि हो न हो इस औषधि का बाबा के चरित्र के साथ गहरा नाता है। यह वही औषधि है जो आसाराम अपने आश्रम में अक्सर इस्तेमाल करता था।

बता दें इसे वह अपनी मर्दानगी बनाए रखने के लिए इस्तेमाल करता था। साथ ही अपने इच्छाओं को पूरी करने के लिए भी वह यह औषधि लेता था।

हालांकि, इसकी खेती में ज्यादा निवेश करना पड़ता है, लेकिन इस देसी दवा के चौंकाने वाले फायदे देखकर मेडिकल साइंस भी हैरान है।

कई वर्षों से दवा बनाने वाली कंपनियां इस पर शोध कर रही हैं। दवा कंपनियों की ओर से इसकी काफी खरीद की जाती है। आइये जानते हैं क्यों इस देसी दवा से मेडिकल साइंस भी हैरान है और क्या हैं इसके फायदे…

यह भी पढ़ें : सजा सुनते ही दहाड़ें मार कर रोया आसाराम, घुटनों के बल बैठ कर जज से कहा…

मूसली दो प्रकार की होती है, काली मूसली और सफेद मूसली। बाजार में अत्यधिक मांग और ऊंची कीमतों के कारण आदिवासी किसानों के लिए सफेद मूसली की खेती बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। इसीलिए अब यहां कृषि यूनिर्सिटी और कृषि विज्ञान केंद्र वघई द्वारा प्रयत्न किए जा रहे हैं कि मूसली की फसल का उत्पादन अधिक से अधिक हो सके।

आपको बता दें, सफेद मूसली में मर्दानगी बढ़ाने के औषधीय तत्व मौजूद होते हैं। यह शुक्राणुओं को गाढ़ा करने और उसकी मात्रा बढ़ाने में सहायक है। निजी संबंधो के समय के साथ यह कामेच्छा को भी बढ़ाता है। यह सिर्फ पुरुषों के लिए ही नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए भी उतनी ही गुणकारी औषधि है।

सफेद मूसली शीघ्रपतन के देसी इलाज के काफी मशहूर है। कौंच के बीज, सफेद मूसली और अश्वगंधा के बीजों को बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर एक चम्मच चूर्ण सुबह और शाम एक कप दूध के साथ लेने से शीघ्रपतन और वीर्य की कमी जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

सालों से विभिन्न दवाइयो के निर्माण में भी सफेद मूसली का उपयोग किया जाता है। मूलतः यह एक ऐसी जडी-बूटी है जिससे किसी भी प्रकार की शारीरिक शिथिलता को दूर करने की क्षमता होती है। यही कारण है की कोई भी आयुर्वेदिक सत्व जैसे च्यवनप्राश आदि इसके बिना संम्पूर्ण नहीं माने जाते हैं।

यह इतनी पौष्टिक तथा बलवर्धक होती है की इसे शिलाजीत की संज्ञा भी दी जाती है। चीन, उत्तरी अमेरिका में पाये जाने वाले इस पौधे, जिसका वानस्पतिक नाम पेनेक्स जिंन्सेग है का विदेशों में फलेक्स बनाये जाने पर भी काम कर रहे हैं।

यही नहीं, कई शोध अपने परिणाम बताते हैं कि डायबिटीस के बाद होने वाली नपुंसकता में भी सफेद मूसली सकारात्मक असर करती पाई गई है।

कुन्नथ फार्मास्युटिकल्स अपनी वेबसाइट पर ये दावा करते हैं कि मूसली पावर एक्स्ट्रा के कोई ज्ञात नकारात्मक साइड इफेक्ट नहीं हैं और क्योंकि यह पूरी तरह कार्बनिक हर्बल सामग्री से बनाया जाता है, इसलिये मानव उपभोग के लिए ये सुरक्षित है।

कंपनी दावा करती है कि इस उत्पाद को उच्च रक्तचाप, रुमेटी गठिया वाले तथा स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी इसका सेवन सुरक्षित है, हालांकि इस संबंध में उन्होंने कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं दिया।

देखें वीडियो :-

LIVE TV