अटल जी और लखनऊ के बीच का रिश्ता बयाँ करते ये कुछ खास पल, आइये जानें

लाइव टुडे डेस्क। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लखनऊ से ऐसा गहरा लगाव रहा है जिसे शब्दों में बयान करना कठिन है। जब से अटल जी के देहावसान की खबर आई तब से  नवाबों के इस शहर में गुरूवार को पॉश कॉलोनियों में भी अटल जी की ही चर्चा रही।

अटल जी और लखनऊ के बीच का रिश्ता बयाँ करते ये कुछ खास पल, आइये जानें

तो आज हम  राजनीति के इस महान पुरोधा के बारे में आपसे अटल जी की कुछ खास बातें साझा करने जा रहें हैं-

सबसे पहले बात करते हैं..वर्ष 1957 के चुनाव का दौर था। तब अटल बिहारी वाजपेयी जी लखनऊ से चुनाव लड़ रहे थे। उनके सामने थे कांग्रेस से पुलिन बिहारी बनर्जी जी। जब चुनाव के नतीजे आये तो बनर्जी चुनाव जीते और अटलजी हार गए। जनसंघ के कार्यालय पर मौजूद लोग हार-जीत का विश्लेषण कर रहे थे, अटल जी उठे और कुछ लोगों के साथ पहुंच गए बनर्जी के घर और उनको बधाई दी।

जनसंघ लखनऊ में बेगम हज़रत महल पार्क में अटल जी के लिए आरिफ बेग एक धन्यवाद सभा कर रहा था लेकिन अटल जी को एक जरुरी काम से ग्वालियर निकलना था। अटल जी आरिफ बेग के साथ लखनऊ में रुके थे। कुछ युवा कार्यकर्ता रात 10 बजे अटल जी से मिलने गए और कहा कि आपको सभा करनी है। अटल जी ने कहा कि कल सुबह मुझे 8 बजे निकलना है, सभा कैसे होगी तो वो सब बोले सात बजे सभा करेंगे।’

इस पर अटल जी ने कहा कि कैसी सभा होगी, युवा कार्यकर्ता उत्साह में बोले- अटल जी भयंकर सभा होगी। अब अटल जी आरिफ बेग से पूछ ही बैठे – ‘क्यूँ जी, भयंकर सभा में जाना चाहिए कि नहीं ‘

1995 में अटल बिहारी वाजपेयी जी लखनऊ में भाजपा के मेयर प्रत्याशी के प्रचार के लिए आये। अटल जी ने बोलना शुरू किया – ‘आज से 40 साल पहले मैं जवान था। गंजिंग करता था। कैसरबाग चौराहे पर बैठता था।

एक जवान लड़का लखनऊ की शाम को गंजिंग क्यों करेगा.. शाम को कैसरबाग चौराहे पर क्यों बैठेगा।’ जनता हंसी और सीटियां और तालियां बजाने लगी। फिर अटल जी बोले – ‘आज लखनऊ बीमार हो गया है और हम इसका इलाज कराने के लिए आएं हैं और साथ लाए हैं डॉक्टर…डॉक्टर एससी राय। ये इसकी बीमारी को दूर करेंगे ताकि आप भी गंजिंग कर सकें और कैसरबाग में बैठ सकें।’

जब चौक की राजा ठंडाई पर पहुँच गए बाजपेयी जी –

लखनऊ में चौक की राजा ठंडाई के मालिक विनोद तिवारी दुकान पर बैठे ही थे की अचानक अटल बिहारी वाजपेयी जी दुकान पर आ गए।

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उनके साथ लालजी टंडन, कलराज मिश्र और राजनाथ सिंह भी थे। तब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी।

अटल जी किसी मुद्दे पर राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र से बात कर रहे थे। तभी दुकान मालिक विनोद जी ने इशारे से पूछा कैसी… सादी। अटल जी ने पलट कर जवाब दिया – मैं और शादी ! मैंने तो शादी ही नहीं की…इसलिए स्वाद भी नहीं जानता।

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लखनऊ की वर्तमान मेयर संयुक्ता भाटिया के पति और तत्कालीन कैंट विधायक सतीश भाटिया की मृत्यु पर लखनऊ आए अटल बिहारी वाजपेयी जी शवयात्रा के साथ पैदल ही आलमबाग श्मशान घाट तक गए।

अधिकारियों के लाख कहने पर भी उन्होंने सुरक्षा और गाड़ी लेने से इन्कार कर दिया। अटल जी बोले, ‘शवयात्रा में कोई गाड़ी से नहीं चलता।’ वे तब तक श्मशान घाट पर भी बैठे रहे जब तक अंत्येष्टि पूरी नहीं हो गई।

 

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