क्रिटिकल स्टेज पर पहुंचे तापीय बिजली घर, AIPEF ने केंद्र सरकार पर लगाया आरोप

पिछले कई महीने से देश के विद्युत इकाइयों में मांग अनुरूप कोयला उपलब्ध न हो पाने के कारण कई इकाईयां ठप हैं। केंद्र सरकार कोयला के मांग और आपुर्ति को संतुलित करने के लिए कोयला के आयात को बढ़ाया है और राज्यों पर भी केंद्र दबाव बना रही है कि वो कोयला आयात कर ठप बिजली इकाइयों को पुन: संचालित करें।

इसी बीच ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को फिर से कोयला आयात करने के निर्देश जारी करने को केंद्र सरकार द्वारा राज्यों पर बेजा दबाव डालने की कोशिश करार दिया है। फेडरेशन ने अपनी मांग दोहराते हुए कहा है कि कोयला संकट में राज्य के बिजली उत्पादन गृहों का कोई दोष नहीं है, इसलिये कोयला आयात के अतिरिक्त खर्च का केंद्र सरकार को वहन करना चाहिए।

इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बुधवार को बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए गए आदेश में दोबारा कहा गया है कि 31 मई तक जो ताप बिजली घर कोयला आयातित का आदेश नहीं करेंगे और 15 जून तक आयातित कोयले की ब्लेंडिंग नहीं प्रारंभ करेंगे तो फिर उन्हें इसके बाद 10 प्रतिशत के बजाय 15 प्रतिशत कोयला 31 अक्टूबर तक आयात करना होगा।

पहली जून के बाद घरेलू कोयले के आवंटन में भी ऐसे ताप बिजली घरों को पांच प्रतिशत कम कोयला दिया जाएगा जिन्होंने आयातित कोयले का आदेश नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि एक ओर तो केंद्र सरकार अप्रैल तक यह दावा करती रही है कि कोल इंडिया का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है और कोयले का कोई संकट नहीं है। दूसरी ओर केंद्र सरकार यह कह रही है कि राज्य के ताप बिजली घर कोयला आयात करें और अब यह कोयला आयात का कार्यक्रम 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गया है।

उन्होंने तकनीकि रूप से चिंता ब्यक्त करते हुए कहा कि राज्यों के अधिकांश तापीय बिजली घर आयातित कोयले के लिए डिजाइन नही किये गए हैं। आयातित कोयला ब्लेंड करने से तापीय बिजलीघरों के बॉयलर में ट्यूब लीकेज बढ़ जाएंगे।

शैलेंद्र दूबे ने आगे कहा कि अभी भी देश के 108 ताप बिजली घरों के पास केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के नोरमैटिव स्टॉक की तुलना में 25 प्रतिशत से कम कोयला है, जिसे क्रिटिकल स्टेज कहा जाता है।

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