एक ऐसा कुंड जिसका पानी पीने मात्र से दूर होती हैं गंभीर बीमारियां

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित विन्ध्य क्षेत्र में एक ऐसा दुर्गम कुण्ड है। जिसका जल मात्र पीने और स्नान कर लेने से अधकपारी, अतरा, चौथिया, तिजारा और बुखार छू मंतर हो जाता है।एक ऐसा कुंड जिसका पानी

इतना ही नहीं इस कुंड का एक रहस्य ऐसा भी है। जो वैज्ञानिको को सोचने के लिए मजबूर करता है कि भला सूर्य की रौशनी से पत्थर पर बनी घड़ी कैसे चला करती थी।

सूर्य की रौशनी से चलती थी घड़ी!

कुण्ड के चारों कोनों पर स्थापित पत्थर की घड़ियां सूर्य की रोशनी से चला करती थी। इस कुंड को नेपाल नरेश ओमानन्द जी महाराज (स्वामी राजाबाबा) द्वारा बनाया गया था। लेकिन यह कुण्ड पुरातत्व विभाग के लापरवाही से धीरे-धीरे अपनी पहचान खोता जा रहा है।

वर्ष 1925 के आस-पास में नेपाल नरेश स्वामी राजाबाबा अपनी गद्दी छोड़कर तप के लिए यहा आये थे। उन्होंने अपने शिष्यों के सहयोग एवम् ईश्वर महिमा से ओमकार कुण्ड की स्थापना किया। धीरे-धीरे उस कुण्ड को पक्की बावली के रूप में परिवर्तित किया।

इस बावली के ऊपर चारों कोनों पर पत्थर का गोल आकार वाला सुडौल पत्थर है, जो कि सूर्य की रोशनी से कभी चला करती थी।

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तपोवन कुण्ड की देखभाल में लगे स्वामी जीवनानन्द जी महाराज ने बताया कि स्वामी राजाबाबा द्वारा निर्मित इस कुण्ड का जल न कभी समाप्त होता और न ही इसमें एक भी कीड़ा दिखाई पड़ता है।

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हर वर्ष यहां चैत्र रामनवमी के दिन मेले का आयोजन होता है और श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठा होती है। इस दौरान अपने पिता के आदेश को आत्मसात करते हुए स्व. अमरनाथ गुप्त के परिवार वाले राजाबाबा की गद्दी पर उनका चित्र आदि रखकर रामनवमी मनाते हैं।

सूखा रोग से ग्रसित को मिला था जीवनदान

विजयपुर निवासी स्व. अमरनाथ की पत्नी श्रीमती शांती देवी बताती हैं कि जब हमारे पति छह माह के थे। तो वे सूखा रोग से पीडि़त हो गये थे तो वे इसी कुंड के जल से ठीक हुए थे।अमरनाथ गुप्त उस वक्त आरएसएस के जिला प्रचारक हुआ करते थे।

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