इन बच्चों का हुनर देख बढ़ जाएगी जिंदगी जीने की इच्छा

रिपोर्ट- काशीनाथ शुक्ला

वाराणसी। खुशियों का त्यौहार दीपावली आने वाली है. अन्धकार को दूर करने के लिए दीपक जलाये जाते हैं. मगर उस अन्धकार को कैसे दूर करें जो हमारे अन्दर है. बनारस के कुछ ऐसे बच्चों ने पूरे देश को यह सन्देश दिया है की अँधेरा दूर करना है तो सबसे पहले अपने अन्दर का अँधेरा दूर करना चाहिए.

रोशनी

बनारस के जीवन ज्योति अंध विद्यालय के बच्चों ने दीपावली के कई प्रकार के दीपक और मोमबत्तियां बनाई है और मिसाल पेश किया है की खुद की रौशनी न होते हुए भी दूसरों का घर कैसे रोशन किया जाता है.

जीवन ज्योति अंध विद्यालय में पढने वाले बच्चों को जो आँखों से देख नहीं सकते, उन्होंने दूसरों की जिंदगी को रोशन करने का बीड़ा उठाया है. इनमे से कई बच्चे नेत्रहीन, मेंटली रिटायर्ड, हियरिंग इम्पेयर्ड, और फिजिकली हेंडीकैप्ड हैं और कुछ समझ भी नहीं सकते. ऐसे बच्चों को मोमबत्ती और दीपक बनाना सिखाया गया और इन्होंने अपनी मेहनत और लगन से कई प्रकार की मोमबत्तियां बनाई हैं. जो बच्चे रंगों की पहचान नहीं कर सकते उन बच्चों ने दीपक में रंग भरे हैं. जिन बच्चों ने कभी रौशनी नहीं देखी उन बच्चों ने दीवाली के दिन कई घरों को रोशनी देने का सामान तैयार किया है.

इन बच्चों के द्वारा बनाये गए सारे सामानों को मार्केट में बेचा जाता है और जो पैसे मिलते हैं वो इन बच्चों को ही दे दिया जाता है या उन बच्चों पर ही खर्च किया जाता है. इस विद्यालय का उद्देश्य है की उन बच्चों को जो हर तरह से मजबूर हैं गरीब हैं और गाँव में रहते है उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाय ताकि वो ज़माने के साथ साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल सके.

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इसे कहते है की कौन कहता है की आसमान में सुराग नहीं हो सकता, बस एक पत्थर तबियत से उछालो तो यारो. ऐसा की कुछ कर रहे है  वाराणसी के ये अंधे बच्चे जो खुद को दुनिया की रोशनी देख नही सकते है लेकिन दूसरे के घरो को रोशन कर रहा है.सलाम है इनके जज्बे को.

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