महिला हॉकी टीम की इस खिलाड़ी ने ओलम्पिक की तैयारियों पर दी ये बड़ी सीख, हर प्लेयर्स के लिए है जरुरी  

नई दिल्ली इंडोनेशिया में हुए 18वें एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर मोनिका का मानना है कि भले ही टीम स्वर्ण पदक जीतकर टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई न कर पाई हो लेकिन इन खेलों के लिए टीम को मानसिक रूप से तैयार रहने की जरूरत है।

महिला हॉकी टीम

एशियाई खेलों में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद भारत को फाइनल मुकाबले में जापान के खिलाफ हार का समाना करते हुए रजत पदक से संतोष करना पड़ा। मोनिका का कहना है कि टीम को खेलों की सबसे बड़े टूर्नामेंट ओलम्पिक में क्वालीफाई के कई मौके मिलेंगे लेकिन भारतीय टीम को इसके लिए मानसिक मजबूती की जरूरत है।

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जकार्ता से रजत पदक लेकर लौटी मोनिका ने कहा, “एशियाई खेलों के लिए हमारा लक्ष्य स्वर्ण जीतकर टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करना था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके बावजूद हम पर कोई दबाव नहीं है, क्योंकि क्वालीफाई के लिए हमें कई मौके मिलेंगे लेकिन सबसे अहम है हमारा मानसिक रूप से मजबूत रहना। हम आगामी टूर्नामेंट में गलतियां नहीं कर सकते।”

इस साल इंग्लैंड में हुए महिला हॉकी विश्व कप में भी भारतीय टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया लेकिन इंग्लैंड और आयरलैंड जैसी टीमों के साथ हुए करीबी मुकाबलों में भारत को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले।

यह पूछे जाने पर कि क्या दबाव वाली स्थिति में भारतीय टीम को अच्छा प्रदर्शन करने के बारे में सीखने की जरूरत है? मोनिका ने कहा, “मैच के समय हमारे ऊपर अधिक दबाव नहीं होता। हां, हमारे दिमाग में यह जरूर चलता है कि हम एक फाइनल मुकाबला या किसी बड़े टूर्नामेंट में खेल रहे हैं। मौजूदा समय में किसी भी टीम के खिलाफ मैच आसान नहीं होता क्योंकि अब रैंकिंग मायने नहीं रखती। विश्व कप में आयरलैंड जैसी टीम फाइनल तक पहुंच गई और इससे साफ जाहिर होता है कि कोई एक टीम किसी भी टूर्नामेंट में जीत की प्रबल दावेदार नहीं है।”

उन्होंने कहा कि एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने एकजुट होकर अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन टीम टूर्नामेंट के दौरान काउंटर अटैक पर प्रभावशाली नहीं रही और इसमें सुधार की आवश्यकता है।

पंजाब की निवासी मोनिका ने कहा, “मैं मानती हूं कि एशियाई खेलों में हमारा काउंटर अटैक अच्छा नहीं रहा। हम काउंटर अटैक के जरिए अधिक गोल कर सकते थे लेकिन अब हमें इसे बेहतर करने की जरूरत है। आगामी टूर्नामेंटों से पहले हम कड़ी मेहनत करेंगे और इस कमी में सुधार करेंगे।”

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मोनिका ने इस पर भी जोर दिया कि भारत में पुरुषों की तरह महिलाओं के लिए भी हाकी इंडिया लीग (एचआईएल) जैसा एक टूर्नामेंट शुरू होना चाहिए।

बकौल मोनिका, “हम इसके लिए अपनी तरह से लड़ाई लड़ रहे हैं और लगातार अच्छा प्रदर्शन करके खुद को साबित कर रहे हैं। हमने राष्ट्रमंडल खेलों एवं विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया और हम चाहते हैं कि महिला खिलाड़ियों के लिए एचआईएल जैसी लीग हो। हम भी चाहते हैं कि हमें अच्छी सुविधाएं मिले ताकि हमारी टीम और बेहतर हो सके।”

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