वन विभाग की लापरवाही आई सामने, पकड़े गए कई बंदरों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

रिपोर्ट- अनिल सनवाल

अल्मोड़ा। वन विभाग के एनटीडी स्थित रेस्क्यू सेन्टर में नगर क्षेत्र से पकड़ कर लाए गए बन्दरों में से कई बन्दरों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। मामला उजागर न हो पाये इसके लिए विभाग ने आनन फानन में बिना पोस्टमार्टम के मृत बन्दरों को रैस्क्यू सेन्टर के परिसर में ही दफना दिया। मामला उजागर होते ही वन विभाग में हडकंप मचा हुआ है। वहीं पशु प्रेमी बंदरों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे है।

बंदरों की मौत

ज्ञात हो कि विगत दिनों लोगों की मांग पर नगर में बन्दरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नगर पालिका ने बंदर पकड़ने का अभियान चलाया हुआ था। दस दिनों तक मथुरा से आयी बंदर पकड़ने वाली टीम ने 100 से अधिक बंदर पकड़े। जिनमें से 65 बंदरों को वन विभाग को सौंपा। वहीं बाकी बंदरों को जंगल में छोड़ दिया। वन विभाग ने अपनी क्षमता के अनुसार 50 बंदरों को एनटीडी स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखा। वहीं वन विभाग ने उनमें से भी 15 बंदरों को जंगल में छोड़ दिया था। बचे 35 बंदरों में से पांच बंदरों की मौत हो गई।

वहीं पशु प्रेमियों का कहना है कि नगर पालिका द्वारा 64 बन्दर पकड़ कर वन विभाग को दिए थे। जिसमें से करीब 30 ही बन्दर वन विभाग के पास है। वन विभाग की लापरवाही के कारण कई बन्दरों की मौत हो गयी है। कहा कि जब विभाग के पास बन्दरों की देख भाल की कोई व्यवस्था नही थी तो बन्दरों को क्यों पकड़ा गया। जब बन्दरों को पकड लिया था उसी समय बन्दरों को जंगल में छोड देना चाहिए था लेकिन वन विभाग ने ऐसा नही किया। जिस कारण कई बन्दरों की मौत हो गयी है। इसकी शिकायत उच्चाधिकारीयों से की गयी है। उन्होने कहा कि जो लोग बन्दरों की मौत के लिए जिम्मेदार है उनके खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए।

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वहीं वनाधिकारी का कहना है कि नगर पालिका के द्वारा बन्दर पकड़ो अभियान चलाया गया था। जिसमें उन्होने 50 बन्दर पकड़ कर वन विभाग को दिए गए थे। वन विभाग ने 15 बन्दरों को जंगल में छोड दिया। और 5 बन्दरों की मौत हो गई है। मौत के कारणों पर उन्होने बताया कि बन्दर पकडते समय कुछ बन्दर घायल हो गए थे वहीं कुछ बन्दरों में दहशत थी जो उनकी मृत्यु का कारण हो सकती है।

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