नाले में डूबकर सफाईकर्मी की मौत, परिजनों ने ठिकेदार पर लगाया आरोप

प्रदेश भर में आए दिन सफाईकर्मियों के मौत होने की खबरें सामने आती रहती हैं। इसीतरह से बरेली से एक मामला सामने आया है। दरअसल नाला साफ करते समय सफाईकर्मी उसमें डूब गया।

लोगों की मदद से उसे बाहर निकालकर शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत में सुधार न होने पर सफाईकर्मी को रेफर कर दिया गया। अस्पताल ले जाते समय सफाईकर्मी ने दम तोड़ दिया। मृतक के परिजनों ने ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मामले की तहरीर दी है।

थाना बारादरी के आजाद नगर कालोनी निवासी 34 वर्षीय राजीव पुत्र सज्जन संविदा पर सफाई का काम करते थे। सोमवार सुबह उन्हें ठेकेदार काम पर बुलाकर ले गया। गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि के सामने सफाई करते समय पैर फिसलने के कारण वह नाले में डूब गए। वहां काम करने वाले मजदूरों की मदद से उन्हें नाले से निकाला गया। लेकिन जब तक उनके फेंफड़ों में काफी गंदा पानी चला गया।

उनके भाई रवि कुमार ने बताया तुरंत ही उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत में सुधार न होने पर उन्हें भोजीपुरा स्थित निजी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में देर रात राजीव की मौत हो गई।

पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक की पत्नी संगीता का रो-रो कर बुरा हाल है। राजीव के दो बेटे प्रिंस व शाहिल हैं। मृतक राजीव के भाई ने बताया कि जिस समय उसका भाई नाले में डूबा।

अगर वहां ठेकेदार ने उनके साथ कोई और व्यक्ति को लगाया होता तो शायद वह बच जाते। ठेकेदार कर्मचारियों को सफाई उपकरण उपलब्ध कराए बगैर काम करा रहा था। मामले में मृतक के परिजनों ने ठेकेदार के खिलाफ थाना बारादरी में तहरीर दी है। उसके भाई की मौत ठेकेदार की लापरवाही के कारण हुई है।

राजीव ठेकेदार के अंतर्गत सफाई कार्य कर रहे थे। ठेकेदार द्वारा नगर निगम की देखरेख में बिना सेफ्टी किट के नाले की सफाई का कार्य कराया जा रहा था। राजीव की नाले में डूबने के कारण मौत हो गई। जिसको लेकर भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज के पदाधिकारियों ने नगर निगम अधिकारियों द्वारा कोई सुध न लेने पर आक्रोश जताया।

उन्होंने मृतक के परिवार में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी व पचास लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की मांग की है। भावाधस के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कठेरिया ने बताया कि अगर ठेकेदार की तरफ से सेफ्टी किट उपलब्ध कराई गई होती तो शायद राजू की जान बच जाती। नगर निगम व ठेकेदार के द्वारा सफाई कर्मचारियों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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