विधायक के बेटे की डांट से अवर अभियंता की बिगड़ी हालत, खोया दिमागी संतुलन

रिपोर्ट- अनुज कौशिक

जालौन। प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट रूप से कहा था कि प्रदेश में गुंडों का राज नहीं चलने दिया जायेगा। लेकिन प्रदेश में भाजपा विधायक या उनके पुत्र की गुंडई देखने को आये दिन मिलती है। ऐसा ही मामला जालौन में आया जहां माधौगढ़ विधायक मूलचन्द्र निरंजन के पुत्र आशु निरंजन पर समाज कल्याण विभाग के अवर अभियंता को घर बुलाकर गाली-गलौच और बेज्जत करने का आरोप है।

अभियंता

इस घटना के बाद जब अवर अभियंता की हालत बिगड़ गई तो विधायक पुत्र अपने साथियों के साथ मिलकर अवर अभियंता को उल्टे खराब हालत में जेई को कोतवाली में पुलिस के हवाले यह कह कर छोड़ आये कि घर आकार जेई ने अभद्रता की।

मामला उरई कोतवाली क्षेत्र के राम नगर स्थित भाजपा के माधौगढ़ विधायक मूलचन्द्र निरंजन के आवास का है। जहां भाजपा विधायक मूलचन्द्र निरंजन के पुत्र आशु निरंजन ने समाज कल्याण विभाग उरई में तैनात अवर अभियंता राजकुमार राठौर को अपने आवास पर बुलाया। विधायक पुत्र के बुलाने पर अवर अभियंता घर पहुंचे। जहां पर विधायक पुत्र ने अवर अभियंता से माधौगढ़ में एक स्थान पर निर्माण कराने की बात कही। लेकिन उस स्थान पर कोई निर्माण कार्य का बजट न होने पर अवर अभियंता ने मना कर दिया।

अवर अभियंता के द्वारा मना किये जाने पर विधायक पुत्र आवेश में आ गये और अवर अभियंता राज कुमार के साथ गाली-गलौच करने लगे जिस पर अवर अभियंता ने उन्हे गाली देने से मना किया तो विधायक पुत्र ने घर पर ही जेई को बेज्जत करना शुरू कर दिया जिसके बाद दोनों के बीच काफी बहस हुई, बहस के दौरान अवर अभियंता की हालत बिगड़ गई।

हालत देख विधायक पुत्र अपने साथियों के साथ अवर अभियंता को उल्टे पुलिस के हवाले कर कोतवाली में कर आये साथ ही जेई पर अभद्रता करने का आरोप मड़ दिया साथ ही जेई को किसी से कुछ भी न बताने की धमकी देकर वहाँ से चले गये। जब इस मामले के बारे में मीडिया को जानकारी हुयी तो मामले की सच्चाई जानने पहुंची और अवर अभियंता से पूरी घटना की जानकारी लेनी चाही। लेकिन सत्ता पक्ष के विधायक पुत्र  के दबाव में आने के कारण अवर अभियंता अपनी चुप्पी साधे रहे लेकिन उनकी चुप्पी भी सब कुछ बोल रही थी।

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जब अवर अभियंता से पूंछा कि वह कोतवाली कैसे आये तो उन्होने बताया कि वह भाजपा विधायक मूलचन्द्र निरंजन के घर गये थे जहां उनके पुत्र ने बुलाया था काम के सिलसिले में तभी उनकी तबीयत खराब हो गई और वह कोतवाली आ गये, लेकिन जब उनसे पूंछा कि तबीयत खराब होने पर कोतवाली लाया जाता है या अस्पताल तो वह डरते हुये जबाव देते रहे।

सवाल यह उठ रहा कि आखिर अवर अभियंता पर कोई दबाव था क्या जिस कारण उन्होने सही जवाब नहीं दिया क्योकि वह बार बार यही कहते रहे कि हालत खराब होने पर कोतवाली इस लिये आये कि उन्हे आराम मिले। लेकिन जेई को यह पता नहीं कि आराम कोतवाली में नहीं बल्कि अस्पताल में मिलता है। वही इस मामले में पुलिस का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहा है।

 

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