फ्री में कोचिंग दे रहा ये दंपती, अब तक सैकड़ों को हासिल हुआ मुकाम

छात्रों को कोचिंगजयपुर। वैसे तो शिक्षक के लिए कोई परिभाषा नहीं बनी, न ही बन सकती है। शब्द कितने भी हों पर इन तीन अक्षरों  (शिक्षक) को उनमें पिरोया नहीं जा सकता।  शिक्षक सिर्फ हमें पढ़ाने, समझाने तक ही सीमित नहीं होता। वो एक ऐसी डोर है, जिसे पकड़कर हम अपनी जिंदगी के हर मुकाम को हासिल करते हैं। ऐसे ही शिक्षक दंपति हैं राजस्थान के, जिन्होंने अब तक सैकड़ों छात्रों को कोचिंग देकर उनकी मंजिल तक पहुंचाया।

गरीब छात्रों के लिए राजस्थान के दौसा जिले का ये दंपती किसी भगवान से कम नहीं हैं। इस दंपती की दी निशुल्क शिक्षा के दम पर ही सैंकड़ों विद्यार्थी बैंक, पुलिस और अध्यापन के क्षेत्र में रोजगार पाए।

सरकारी शिक्षक विनोद मीणा और उनकी पत्नी सीमा पिछले छह सालों से युवक-युवतियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये निशुल्क कोचिंग दे रहे हैं। मीणा दंपती का सराहनीय प्रयास क्षेत्र के गरीब और बेसहारा छात्रों को कोचिंग उपलब्ध करवा कर उनका भविष्य उज्ज्वल बनाने में मददगार साबित हो रहा है। मीणा दंपती 60 विद्यार्थियों का चयन कर उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करा रहे हैं।

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वैसे तो विनोद मीणा ने खुद भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी की, तीन बार साक्षात्कार तक पहुंचे, पर सफल न हो पाए। लेकिन उन्होंने अपने ज्ञान को क्षेत्र के गरीब और वंचित विद्यार्थियों के साथ साझा करने का निर्णय लिया। जिससे कि ऐसे विद्यार्थी जिनके परिजन प्रतियोगी कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते, उनकी मदद की जा सके।

उन्होंने बताया कि वे और उनकी पत्नी अपनी मासिक वेतन में से औसतन बीस हजार रुपये प्रतिमाह कोचिंग संस्थान का किराया और स्टेशनरी के लिए देते हैं। किसी भी भर्ती की तैयारी के लिये 60 विद्यार्थियों के एक बैच का चयन कर उन्हें प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराई जाती है, जिन्हें रविवार को छोड़कर प्रतिदिन चार घंटे तक कोचिंग दी जाती है। इसके तहत अब तक करीब 300 विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है।

विनोद की पत्नी सीमा ने बताया कि जब हमने क्षेत्र के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क कोचिंग देने का निर्णय किया तब लोगों ने हमें हतोत्साहित करने का प्रयास किया। लेकिन लोगों की बातों से हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। हमने कोचिंग क्लासेस को पंजीकृत नहीं कराया और ना ही इसे स्वयंसेवी संस्थान बनाने का इरादा है।

अपनी स्वेच्छा से निशुल्क छात्रों को कोचिंग दे रहे चंद्र प्रकाश शर्मा ने बताया कि मीणा दंपती के प्रयासों को देखते हुए उन्होंने भी अपना योगदान देना शुरू किया। वह विद्यार्थियों को प्रतिदिन एक घंटे कोचिंग देते हैं। एक अन्य शिक्षक मनमोहन ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए कहा कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को सामान्य ज्ञान की तैयारी कराने में मदद करते हैं।

 

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