नेहरू ने घोंपा था ‘टाटा’ की पीठ में छुरा, 85 साल बाद पीएम मोदी लेंगे बदला?

टाटा ग्रुपनई दिल्ली यूं तो देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक टाटा ग्रुप को सुई से लेकर सभी चीजें बनाने में महारथ हासिल है और शायद इसीलिए आज भारत ही नहीं विदेशों में भी इस समूह का डंका बजता है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि टाटा समूह ने विमानन क्षेत्र में भी अपना हाथ आजमाया था। दुर्भाग्यवश टाटा ग्रुप को इस कंपनी का नियंत्रण छोड़ना पड़ा लेकिन एक बार फिर टाटा समूह इस कंपनी पर अपना अधिकार वापस पाना चाहता है।

हम बात कर रहे हैं देश की विमानन कंपनी एयर इंडिया की। बता दें कि इस कंपनी की नीव टाटा ग्रुप ने ही आज से लगभग 85 साल पहले रखी थी और अगर अब टाटा समूह वापस इस कंपनी पर अपना स्वामित्व पा लेता है तो वह कंपनी का राष्ट्रीयकरण होने के 64 साल बाद एक बार फिर इसका मालिक बन सकेगा। क्योंकि देश और विदेशी यात्रियों का भार उठाने वाली एयर इंडिया खुद घाटे में चल रही है और ऐसे में सरकार एयर इंडिया को बेचने की तैयारी कर रही है।

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एयर इंडिया जो कि पहले टाटा एयरलाइंस के नाम से प्रचलित थी इस कंपनी की स्थापना टाट संस ने ही 1932 में रखी थी। इस कंपनी से जुड़ी सबसे रोचक बात ये है कि इसकी पहली फ्लाइट कराची से बॉम्बे के बीच खुद टाटा संस के चेयरमैन जेआरडी टाटा ने ही उड़ाई थी। इस संबंध में कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर यह भी लिखा है कि भारत में जहाज उड़ाने के लिए क्वालीफाई करने वाले वह पहले भारतीय शख्स थे। जिसका लाइसेंस उन्हें 1929 में मिला था। हालाकि 1946 में ही यह कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र कंपनी बन गई और इसका नाम बदलकर एयर इंडिया रख दिया गया। इसके बाद 1948 में उन्होंने एयर इंडिया इंटरनैशनल की स्थापना की और 1978 तक वह एयर इंडिया की जिम्मेदारी संभाले रहे।

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जेआरडी टाटा का सपना पूरी तरह उड़ान भर भी नहीं पाया था कि 1953 में उन्हें तगड़ा झटका लगा। यही वो समय था जब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें बिना बताए ही उनकी विमानन कंपनी का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। टाटा समूह के मुताबिक अपने समय में टाटा एयरलाइंस दुनिया की सर्वश्रेष्ठ एयरलाइंस थी। हालाकि इसके बाद भी टाटा ही इस एयरलाइंस के चेयरमैन बने रहे लेकिन 1977 में अचानक उन्हें एक और झटका मिला जब तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई ने उन्हें इस पद से हटा दिया।

इतना सब होने के बाद टाटा समूह एक बार फिर अपनी खोई हुई विरासत पाने की ओर बढ़ रही है। कभी जिस विमानन कंपनी ने देश को भारी मुनाफा दिया आज वहीं एयर इंडिया खराब संचालन और नाकामयाब बिजनस करने का नतीजा भुगत रही है। और तो और यह कंपनी भारी कर्ज के तले डूब चुकी है। इसी कारण से सरकार इसका निजीकरण करना चाहती है।

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