माता-पिता का रखो ख्याल या फिर सैलरी कटवाने के लिए हो जाओ तैयार

शिवराज सरकारनई दिल्ली: फिल्म बागबां, जिसे हर पीढ़ी ने पसंद किया। इस फिल्म ने समाज का आईना ही दिखाया। मां-बाप के संजोए सपने कैसे चूर चूर होते हैं, फिल्म में बखूबी दिखाया गया। जवानी से बुढ़ापे तक सिर्फ बच्चे और उनका भविष्य ही संजोने में लगे रहते हैं। सालों पुरानी इस फिल्म से शिवराज सरकार ने सबक लेते हुए ‘नालायकों’ के लिए फरमान लाने जा रही है।

बुढ़ापे में मां-बाप दर-दर की ठोकरें न खाएं इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार अब एक नया कानून बनाने जा रही है जिसके तहत सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों ने अगर अपने माता-पिता को बेसहारा छोड़ा तो सरकार उनकी ही सैलरी काटकर उनके माता-पिता का ख्याल रखेगी।

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शिवराज सरकार के नए नियम के तहत सरकारी कर्मचारियों के हर महीने के वेतन से दस फीसदी हिस्सा काटकर बुजुर्ग माता-पिता को दिया जाएगा ताकि वो अपनी जरूरतें पूरी कर सकें।

इस बारे में सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं कि बेटा तो बहुत बड़ा अधिकारी है लेकिन मां-बाप के भरण-पोषण के लिए पैसे नहीं देता, बहू घर से निकाल देती है।

बुजुर्गों के लिए वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 लागू है लेकिन इसके तहत मिलने वाली रकम की अधिकतम सीमा 10000 रुपये है।

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